आठ राज्यों में भाजपा बनाम कांग्रेस, पांच में एनडीए बनाम यूपीए जबकि नौ राज्यों में त्रिकोणीय मुकाबला

लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल फूंका जा चुका है। इस बार देश में सात चरणों में मतदान हो रहे हैं। 11 अप्रैल, 18 अप्रैल, 23 अप्रैल, 29 अप्रैल, 6 मई, 12 मई और 19 मई, इन सातों चरण के मतदान के बाद 23 मई को मतगणना होगी और देश में नई सरकार तय हो जाएगी।


इस चुनावी महासंग्राम में राष्ट्रीय स्तर पर मुख्यत: दो धरों में सीधी टक्कर देखी जा रही है, लेकिन अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समीकरण दिख रहे हैं। कहीं भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर है, तो कहीं एनडीए बनाम यूपीए की लड़ाई है। वहीं देश के नौ राज्यों में त्रिकोणीय मुकाबले का दृश्य उभर रहा है। 

भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाली महागठबंधन ने इस लड़ाई में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। ऐसे में इस बड़े सवाल पर सबकी नजर है कि क्या नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनेगी या फिर एनडीए के विरोध में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए गठबंधन सरकार बना पाएगी! 

आइए जानें, इस चुनावी महासंग्राम में देश के किन राज्यों में कैसा समीकरण बन रहा है।
 


सबसे पहले देश के इन आठ राज्यों पर एक नजर, जहां भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर


मध्य प्रदेश : 29 लोकसभा सीटें
गुजरात : 26 लोकसभा सीटें
राजस्थान : 25 लोकसभा सीटें
असम : 14 लोकसभा सीटें
छत्तीसगढ़ : 11 लोकसभा सीटें
हरियाणा :10 लोकसभा सीटें
उत्तराखंड : 05 लोकसभा सीटें
हिमाचल प्रदेश : 04 लोकसभा सीटें

कुल 144 लोकसभा सीटें 


 


 


इन पांच राज्यों में एनडीए बनाम यूपीए होगी चुनावी भिड़ंत 


बिहार : 40 लोकसभा सीटें


बिहार में सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू एक बार फिर एनडीए में शामिल है। भाजपा और जदयू 17-17 सीटों पर और लोजपा छह सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं, दूसरी ओर एनडीए के विरोध में यहां कांग्रेस, राजद, हम, रालोसपा और अन्य पार्टियां शामिल है। महागठबंधन में अबतक सीट बंटवारा तय नहीं हो पाया है। 

महाराष्ट्र : 48 लोकसभा सीटें


महाराष्ट्र में एनडीए सत्ता में है। भाजपा और शिवसेना एक बार फिर से एक हो चुकी है। टिकट बंटवारा भी हो चुका है। भाजपा 25 और शिवसेना 23 पर लड़ेगी। इस बंटवारे से दोनों दल ने राहत की सांस ली है, लेकिन एनडीए में शामिल आरपीआई को एक भी सीट नहीं दिए जाने से केंद्रीय राज्यमंत्री रामदास अठावले नाराज चल रहे हैं।

एनडीए के विरोध में यहां कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन है। पिछले दिनों कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने सपा और बसपा को अपने साथ शामिल होने का निमंत्रण दिया था। इस रणनीति के तहत कांग्रेस महाराष्ट्र में बसपा को दो और सपा को एक सीट देने को तैयार है। 

तमिलनाडु : 39 लोकसभा सीटें


तमिलनाडु में भाजपा को एआईएडीएमके का साथ मिला है। यहां की 39 और पुडुचेरी की एक सीट में से एआईएडीएमके 25 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इनमें से टीएमसी, एनआरसी और पीटी को भी सीटें देगी। इधर, भाजपा अपने हिस्से की 15 में से 8 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि चार सीटों पर पीएमके और तीन सीटों पर डीएमडीके लड़ेगी। 

इधर, एनडीए के विरोध में कांग्रेस ने डीएमके संग गठबंधन बनाया है। डीएमके ने तमिलनाडु की नौ और पुडुचेरी की एक लोकसभा सीट कांग्रेस को दी है। बाकी सीटों पर वह उम्मीदवार उतारेगी

कर्नाटक : 28 लोकसभा सीटें


कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्यूलर(जेडीएस) का गठबंधन है। राज्य में इनकी सरकार भी है। वहीं दूसरी ओर बीएस येदियुरप्पा की कर्नाटक जनता पार्टी का भाजपा में विलय हो चुका है। दोनों के बीच कड़ा मुकाबला है।

झारखंड : 14 लोकसभा सीटें 


14 लोकसभा सीटों वाले झारखंड में भाजपा की सरकार है। एनडीए में यहां आजसू जैसी पार्टी भी शामिल है। वहीं, दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा और पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा समेत अन्य सहयोगियों के साथ कांग्रेस ने यूपीए गठबंधन बनाया है। 
 

नौ राज्यों में दिखेगा त्रिकोणीय मुकाबला 


दिल्ली: 07 लोकसभा सीटें 


दिल्ली में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच त्रिकोणीय भिड़ंत होगी। भाजपा के विरोध में आप और कांग्रेस का गठबंधन होते—होते रह गया है। अभी सातों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित और आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल अलग-अलग ताल ठोंक रहे हैं। 

उत्तर प्रदेश: 80 लोकसभा सीटें


उत्तर प्रदेश में भाजपा, कांग्रेस और सपा-बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। एनडीए के विरोध में 10 मार्च तक की स्थिति के अनुसार कांग्रेस अलग लड़ रही है, जबकि सपा और बसपा ने यहां हाथ मिला लिया है, राष्ट्रीय लोक दल भी उसके साथ है। सपा यहां 37 सीटों पर बसपा 38 सीटों पर और रालोद यहां तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है। अमेठी और रायबरेली सीटें इस गठबंधन ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिए छोड़ दी है और इसी आधार पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव सार्वजनिक मंचों से कहते फिर रहे हैं कि इस महागठबंधन में कांग्रेस भी उनके साथ है।

पश्चिम बंगाल : 42 लोकसभा सीटें


यहां सीएम ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस सत्ता में है। भाजपा के विरोध में टीएमसी अलग और कांग्रेस अलग मैदान में हैं। लोकसभा चुनाव 2014 में तृणमूल कांग्रेस(टीएमसी) को 34 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस को चार सीटें, भाजपा को दो, सीपीएम को दो सीटें मिली थी। टीएमसी के नेतृत्व वाली विपक्षी पार्टी महागठबंधन की ही तरह इस लोकसभा चुनाव में भाजपा की भी नजर पश्चिम बंगाल फतह करने की हैं। 

इसके अलावे जम्मू-कश्मीर, पंजाब, ओडिशा के अलावे दक्षित भारत के आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना में भी त्रिकोणीय मुकाबला है। इन कुल नौ राज्यों में 332 सीटें हैं, जहां सरकार बनाने-गिराने के समीकरण बन रहे हैं। 
 

एनडीए और यूपीए के कई साथी छूटे, कई नए जुड़े भी


2014 लोकसभा चुनाव के बाद दलों के जोड़-तोड़ की खूब राजनीति हुई। इन पांच सालों में एनडीए और यूपीए, दोनों ही गठबंधनों में कई पुराने साथी छूट गए तो कई पार्टियां जुड़ी भी। 

साल 2014 में एनडीए में 29 राजनीतिक पार्टियां शामिल थीं, लेकिन अब 16 सहयोगी पार्टियां साथ छोड़ चुकी है। रामदास अठावले की पार्टी और अपना दल से भी भाजपा की अनबन चली रही है। भाजपा ने 127 सीटों वाले तीन राज्यों में नए साथी भी जोड़ें हैं। इनमें तमिलनाडु की 37 सीटों वाला अन्नाद्रमुक भी है। बिहार में जदयू जैसे पुराने और महत्वपूर्ण साथी को भी साधा है।  

2014 में यूूपीए में कुल 14 राजनीतिक पार्टियां साथ थी। इस बार करीब 23 राजनीतिक पार्टियां साथ आ रही हैं। दो दल और साथ आने को तैयार हैं। कांग्रेस को 146 सीटों वाले 5 राज्यों में जेडीएस, द्रमुक, टीडीपी, रालोसपा, झाविमो और झामुमो का साथ है। 

वहीं, महत्वपूर्ण यह भी है कि 72 सांसदों वाले 15 दल अभी तक न एनडीए में है, न यूपीए में। इनमें 34 सांसदों वाली तृणमूल कांग्रेस भी है।

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