अटॉर्नी जनरल के बयान के बाद कोर्ट ने दागे थे कई सवाल
राफेल डील के बेहद गोपनीय दस्तावेज चोरी होने की बात सुप्रीम कोर्ट में कहकर दुनियाभर में सनसनी और सरकार की किरकिरी कराने के बाद अब सफाई दी गई है। मामले को लेकर लीपापोती का दौर भी शुरू हो गया है।केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने राफेल लडाकू विमान सौदे की प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेजों को लेकर खुली अदालत में जो कुछ कहा था, बंद लिफाफे में दिए जवाब में उससे पलट गए हैं। इसमें वेणुगोपाल ने माना कि ''दस्तावेज चोरी नहीं हुए थे, बल्कि किसी ने मिनिस्ट्री से लीक किए थे'' ये अवैध रूप से फाइल लीक करने का मामला है।
पीठ के समक्ष कही थी दस्तावेज चोरी होने की बात
इससे पहले बुधवार को राफेल डील को लेकर अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष दस्तावेजों के चोरी होने की बात कही थी।उन्होंने राफेल फैसले की रिव्यू याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी की अर्जी जिन दस्तावेजों का हवाला दे रही है, वो तो चोरी हो चुके दस्तावेजों पर आधारित है। क्योंकि इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर कुछ अखबारों और न्यूज एजेंसियों ने खबरें चलाई थी।
इस सनसनीखेज जानकारी के बाद शीर्ष कोर्ट में छाए सन्नाटे को तोड़ते हुए खुद चीफ जस्टिस गोगोई ने पूछा था कि मिस्टर अटॉर्नी....ये आलेख मीडिया में कब छपा? इसके जवाब में अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि माई लॉर्ड आठ फरवरी को कोर्ट ने फिर प्रश्न किया था कि तब से अब तक लगभग एक महीने का समय बीत चुका है।इस मामले में आपने क्या कार्रवाई की? इस सवाल पर अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि अभी तो बस जांच ही चल रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल से जवाब तलब कर लिया था।