मोदी लहर में हार के बाद खामोश कर दिए गए 'अटल' के प्रिय शाहनवाज, दावेदार तो बने पर उम्मीदवार न बन सके

बिहार एनडीए में यह तो पहले ही तय हो चुका था कि भागलपुर सीट भाजपा के खाते से जदयू के खाते में जाएगी, लेकिन शाहनवाज हुसैन को ऐसे दरकिनार कर दिया जाना भागलपुर के भाजपा समर्थक और कार्यकर्ताओं के अलावा स्थानीय जनता के लिए भी चौंका देने वाला निर्णय है। अपने समकक्ष मुख्तार अब्बास नकवी की तरह पार्टी का सॉफ्ट अल्पसंख्यक चेहरा और साफ छवि होने के बावजूद शाहनवाज इस लोकसभा 2019 के महासंग्राम से सीधे तौर पर बाहर हैं। मजबूत दावेदारी के बावजूद उनकी उम्मीदवारी पक्की नहीं हो सकी। 


 उम्मीदवारों की सूची फाइनल करने को 20 मार्च को हुई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज भी मौजूद थे। अपने ट्विटर एकाउंट से हुसैन ने बैठक की फोटो शेयर की और इधर, भागलपुर में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच एक बार फिर से आशा की किरण जग गई। तीन दिन बाद शनिवार को सूची आई, तो तमाम उम्मीदों पर पानी फिर गया। भागलपुर सीट जदयू के खाते में जाना ही भाजपा के कद्दावर नेता शाहनवाज हुसैन के लिए भारी पड़ गया। भागलपुर से अब नाथनगर से जदयू विधायक अजय मंडल एनडीए के सांसद उम्मीदवार होंगे। 


एनडीए की सूची जारी होने से पहले तक एक चर्चा यह भी थी कि शाहनवाज को वापस सीमांचल भेजा जा सकता है। वह अल्पसंख्यक बाहुल्य लोकसभा क्षेत्र किशनगंज या अररिया से उम्मीदवार हो सकते थे। इस बीच उड़ती-उड़ती उनके चुनाव न लड़ने की भी खबर आई और उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं को झटका लगा। स्थानीय खबरों के अनुसार, पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच रोष भी है और आक्रोश भी, लेकिन अधिकारिक तौर पर नेता ऐसा स्वीकार नहीं कर रहे। 

भागलपुर भाजपा जिलाध्यक्ष रोहित पांडेय ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि शाहनवाज जी के प्रदर्शन के आधार पर कार्यकर्ताओं ने उम्मीद लगा रखी थी, निश्चिंत भी थे, लेकिन जो स्थितियां बनी, उसके लिए तैयार नहीं थे। इन्हीं कारणों से उनकी नाराजगी जाहिर है। अब, हमारी मेहनत थोड़ी बढ़ गई है। नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना है और इसके लिए एनडीए उम्मीदवार को जिताना है। उन्होंने कहा कि खुद शाहनवाज हुसैन भी स्थानीय नेताओं-कार्यकर्ताओं से बातचीत कर रहे हैं। 


सीमांचल में पहली बार खिलाया था कमल 


शाहनवाज हुसैन पार्टी में निर्विवाद चेहरा रहे हैं। हुसैन ही थे, जिन्होंने कांग्रेस और राजद का गढ़ रहे सीमांचल में पहली बार कमल खिलाया था। 1999 में आम चुनाव के बाद प्रधानमंत्री बने अटल बिहारी वाजपेयी ने उनकी पीठ ठोकी थी। उन्होंने सीमांत गांधी कहे जाने वाले राजद के कद्दावर नेता तस्लीमुद्दीन को उनके गढ़ में मात दी थी। पार्टी ने उनकी वाक शैली और प्रतिभा को देखते हुए उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया। 

अटल सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री


साल 1999 में किशनगंज से जीते शाहनवाज को राज्य मंत्री बनाया गया था। उन्हें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, युवा मामले और खेल, मानव संसाधन विकास विभाग की जिम्मेदारियां मिली। साल 2001 में कोयला मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया था और सितंबर 2001 में नागरिक उड्डयन विभाग के साथ एक कैबिनेट मंत्री के पद पर पदोन्नत किया गया था। इससे केंद्र की अटल सरकार में  वह सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बने। बाद में उन्होंने 2003 से 2004 तक कपड़ा मंत्री के रूप में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।

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