खास बातें
- रिजर्व बैंक इस सप्ताह रेपो रेट में लगातार चौथी बार 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है
- आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक सोमवार से शुरू हो रही है
- शक्तिकांत दास की अगुवाई में छह सदस्यीय एमपीसी बुधवार को रेपो रेट पर फैसला करेगी
अर्थव्यवस्था में जारी सुस्ती को गति देने के लिए रिजर्व बैंक इस सप्ताह रेपो रेट में लगातार चौथी बार 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक सोमवार से शुरू हो रही है। गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में छह सदस्यीय एमपीसी बुधवार को रेपो रेट पर फैसला करेगी।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं एमडी राजकिरन राय जी. ने भरोसा जताया कि एमपीसी एक बार फिर 25 आधार अंकों की राहत देगी। उन्होंने कहा कि यह समय आर्थिक विकास को गति देने का है और मैं रेपो रेट में कटौती को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हूं। कोटक महिंद्रा बैंक के अध्यक्ष (उपभोक्ता बैंकिंग) शांति इकंबरम ने कहा कि महंगाई में जारी नरमी को देखते हुए रिजर्व बैंक विकास दर बढ़ाने पर काम करेगा। नकदी तरलता की स्थितियों के लिए भी कुछ बदलाव संभव है, जबकि रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती हो सकती है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि खुदरा महंगाई अभी आरबीआई के तय दायरे चार फीसदी से नीचे ही रहेगी, जिससे रेपो रेट कटौती का चक्र जारी रह सकता है। केंद्रीय बैंक अगर कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) में 0.50 फीसदी कटौती कर दे तो सिस्टम में 60 हजार करोड़ की नकदी आ सकती है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं एमडी राजकिरन राय जी. ने भरोसा जताया कि एमपीसी एक बार फिर 25 आधार अंकों की राहत देगी। उन्होंने कहा कि यह समय आर्थिक विकास को गति देने का है और मैं रेपो रेट में कटौती को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हूं। कोटक महिंद्रा बैंक के अध्यक्ष (उपभोक्ता बैंकिंग) शांति इकंबरम ने कहा कि महंगाई में जारी नरमी को देखते हुए रिजर्व बैंक विकास दर बढ़ाने पर काम करेगा। नकदी तरलता की स्थितियों के लिए भी कुछ बदलाव संभव है, जबकि रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती हो सकती है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि खुदरा महंगाई अभी आरबीआई के तय दायरे चार फीसदी से नीचे ही रहेगी, जिससे रेपो रेट कटौती का चक्र जारी रह सकता है। केंद्रीय बैंक अगर कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) में 0.50 फीसदी कटौती कर दे तो सिस्टम में 60 हजार करोड़ की नकदी आ सकती है।
अर्थव्यवस्था को सस्ते कर्ज की जरूरत
उद्योग निकाय एसोचैम ने कहा कि अर्थव्यवस्था को अभी सस्ते कर्ज की जरूरत है, ताकि निवेश को बढ़ावा देकर विकास दर तेज की जा सके। इससे एनबीएफसी संकट से उबरने में भी मदद मिलेगी। सीबीआरई के चेयरमैन व सीईओ अंशुमन मैगजीन का कहना है कि निवेशकों का भरोसा जीतने और उपभोक्ताओं का खर्च बढ़ाने के लिए रेपो रेट में कटौती जरूरी है। इससे रियल एस्टेट सहित सभी क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा।