दिल्ली की सत्ता भाजपा से लगभग 21 सालों से दूर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम के सहारे पार्टी उत्तर-पूर्व के ऐसे राज्यों में भी अपनी विजय पताका फहराने में कामयाब रही जहां उसका कभी जनाधार नहीं रहा। लेकिन 2014 के बाद के इसी दौर में दिल्ली ने भाजपा को नहीं अपनाया। लेकिन पार्टी अब वही गलती दिल्ली के 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान नहीं होने देना चाहती।
यही कारण है कि वह सदस्यता अभियान के सहारे समाज के हर वर्ग में अपनी पैठ बना रही है। उसकी कोशिश है कि इस बार दिल्ली विधानसभा भी भगवा रंग से रंग जाए। दिल्ली की राजनीति में पंजाबी, गूजर, जाट, पूर्वांचली, बनिया और अल्पसंख्यक जैसे प्रमुख वर्ग हैं। पार्टी ने विशेष रणनीति के तहत हर वर्ग के प्रभावशाली नेता तैयार कर उन्हें अपने समाज को साधने के मिशन पर लगा रखा है।
यही कारण है कि एक तरफ तो प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी झुग्गी-झोपड़ी में रहकर पूर्वांचली वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं तो विजय गोयल लगातार बनिया वर्ग के संपर्क में हैं। वे लगातार अनेक कार्यक्रम आयोजित कर इस समुदाय के विषयों को उठा रहे हैं। पार्टी के व्यापार प्रकोष्ठ के नेता भी व्यापारियों की मांगों को सरकार के सामने लगातार उठा रहे हैं। छोटे व्यापारियों को पेंशन जैसी सुविधा की घोषणा कर सरकार ने भी इन्हें अपने पक्ष में करने का काम किया है।
इसी प्रकार, सांसद प्रवेश वर्मा को उनके पिता साहब सिंह वर्मा की प्रसिद्धि से जाट बिरादरी का समर्थन हासिल है। सरदार आरपी सिंह सिख समुदाय को अपने साथ जोड़ने में लगे हैं तो तरुण चुघ के नेतृत्व में पार्टी पंजाबी समुदाय के बीच लगातार सक्रिय है। श्याम जाजू और कई अन्य पर्वतीय नेताओं के समीकरण साध पार्टी पहाड़ी समुदाय के बीच भी अपनी उपस्थिति मजबूत कर रही है। इन सभी समर्थनों के साथ पार्टी दिल्ली की सत्ता में वापसी का ख्वाब देख रही है।
लक्ष्य से आगे है सदस्यता अभियान
दिल्ली प्रदेश के महासचिव और राजधानी में सदस्यता अभियान के प्रमुख संयोजक कुलजीत चहल ने बताया कि सदस्यता अभियान तेजी के साथ आगे चल रहा है। पूरे कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पाया है कि प्रधानमंत्री के नाम के साथ हर व्यक्ति अपने काम को जोड़ना चाहता है।
उन्होंने कहा कि इसी उत्साह का परिणाम है कि सदस्यता अभियान में काफी समय बाकी रहने के बाद भी पार्टी ने अभी ही नौ लाख तक सदस्यता हासिल कर ली है। वे दस लाख नए सदस्यों को अपने साथ जोड़ने का लक्ष्य लेकर चले थे। लेकिन उन्हें पूरी उम्मीद है कि यह लक्ष्य बहुत पीछे छूट जाएगा।