अयोध्या विवाद मामले में फैसले की घड़ी नजदीक आ रही है। राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद की सुप्रीम कोर्ट में रोजाना हो रही सुनवाई का बुधवार को 40वां और अंतिम दिन है। इस दौरान कोर्ट में एक बार फिर सभी पक्षों की अंतिम दलीलें पेश होंगी।
इसके बाद कोर्ट अपना फैसला सुरक्षित रखेगा, क्योंकि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कह चुके हैं कि फैसला लिखने में करीब चार हफ्ते लगेंगे। बहरहाल, इससे इतर क्या आप जानते हैं कि राम मंदिर का मुद्दा पहली बार अंग्रेजी हुकूमत के वक्त आज से करीब 206 साल पहले उठा था। यहां आप जान सकते हैं कि इस मामले में अब तक क्या कुछ हुआ है।
इसके बाद कोर्ट अपना फैसला सुरक्षित रखेगा, क्योंकि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कह चुके हैं कि फैसला लिखने में करीब चार हफ्ते लगेंगे। बहरहाल, इससे इतर क्या आप जानते हैं कि राम मंदिर का मुद्दा पहली बार अंग्रेजी हुकूमत के वक्त आज से करीब 206 साल पहले उठा था। यहां आप जान सकते हैं कि इस मामले में अब तक क्या कुछ हुआ है।
वर्ष 1813 में पहली बार किया गया था मंदिर को लेकर दावा
ब्रिटिश हुकूमत के वक्त साल 1813 में हिंदू संगठनों ने पहली बार यह दावा किया था कि वर्ष 1526 में जब बाबर आया तो उसने राम मंदिर को तुड़वाकर ही मस्जिद का निर्माण कराया था। उसी के नाम पर मस्जिद को बाबरी मस्जिद नाम से जाना गया। उस वक्त भी दोनों पक्षों के बीच हिंसात्मक घटनाएं हुई थीं।
ब्रिटिश सरकार ने साल 1859 में विवादित जगह पर तार की एक बाड़ बनवा दी। इसके बाद साल 1885 में पहली बार महंत रघुबर दास ने ब्रिटिश शासन के दौरान ही अदालत में याचिका देकर मंदिर बनाने की अनुमति मांगी थी।
ब्रिटिश सरकार ने साल 1859 में विवादित जगह पर तार की एक बाड़ बनवा दी। इसके बाद साल 1885 में पहली बार महंत रघुबर दास ने ब्रिटिश शासन के दौरान ही अदालत में याचिका देकर मंदिर बनाने की अनुमति मांगी थी।