स्कूलों से फीस माफी के लिए अपील नहीं बल्कि फरमान जारी करे सरकार  _ कर्मवीर नागर प्रमुख

स्कूलों से फीस माफी के लिए अपील नहीं बल्कि फरमान जारी करे सरकार
गरीब अन्नदाता की फसल का संसद में बैठकर मूल्य निर्धारण की भांति निजी स्कूलों की फीस का निर्धारण भी करे सरकार
             _ कर्मवीर नागर प्रमुख
     देश की सरकार उस गरीब अन्नदाता की फसल का मूल्य का निर्धारण देश की संसद के वातानुकूलित हाल में बैठकर कर सकती है तो देश के स्कूली बच्चों की शिक्षा से जुड़े फीस वसूली करने जैसे अहम मुद्दे पर नामचीन निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा की जा रही मनमानी और तानाशाही पर चुप्पी साधने से सरकार की कार्यशैली पर  सवालिया निशान लगना स्वाभाविक है । कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में जब बहुत से अभिभावक रोजी रोजगार से वंचित हैं और खाद्य सामग्री तक के लिए भी सरकार और सामाजिक सेवा करने वालों पर आश्रित नजर आ रहे हैं ऐसी स्थिति में लाचार अभिभावकों की तरफ से लॉक डाउन रहने तककी अवधि की फीस माफी के लिए बार-बार लगाई जा रही गुहार के बाद भी सरकार की निद्रा न टूटना अभिभावकों के मन में तरह तरह के विचारों का भूचाल खड़ा कर रही है। सरकार द्वारा निजी शिक्षण संस्थानों को फीस माफी का स्पष्ट आदेश पारित करने की बजाय अपील करना हास्यास्पद प्रतीत हो रहा है और साथ ही साथ कहीं ना कहीं सरकार इस अपील से निजी शिक्षण संस्थानों के दबाव में भी आती दिख रही है । निजी शिक्षण संस्थाओं के प्रति सरकार के लचीले रुख से अब अभिभावकों की यह आशंका यकीन में तब्दील होती नजर आ रही है कि नामचीन निजी शिक्षण संस्थाओं के संचालन से देश के कुछ बड़े राजनेता और सेलिब्रिटीज किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं । जिनके दबाव के चलते शिक्षा के क्षेत्र में कठोर निर्णय न लिए जाने के कारण शिक्षा का स्तर नहीं सुधर पा रहा है । लेकिन सरकार शायद यह नहीं जानती कि यह जनता है सब जानती है । अब इस जनता की नजर में "मौसेरे भाई" होने की कहावत भी चरितार्थ होती नजर आ रही है। इस संकट की घड़ी में भी केवल 3 महीने के लिए फीस माफी की गुहार पर सरकार द्वारा आदेश पारित न किया जाना राजनीति के रंगमंच पर राजनेताओं के दिखावटी नाटक करने की पोल को खोलता नजर आ रहा है । जो इस बात की तरफ स्पष्ट इशारा करता नजर आ रहा है कि सरकार कोई भी क्यों न  हो लेकिन सत्ता में दखल रखने वाले कुछ  चंद लोगों के दबाव के चलते नीति नियंता जनहित के मुद्दों का भी दम तोड़ देते हैं ।
         अभिभावकों के विभिन्न संघों के द्वारा लगातार गुहार लगाई जा रही है कि इस संकट की घड़ी में आर्थिक स्थिति से जूझ रहे अभिभावकों को राहत देने के लिए प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी को कड़ा निर्णय लेते हुए तीन माह की फीस माफी का आदेश पारित करना चाहिए देश में कई सनसनीखेज और चौंकाने वाले निर्णय लेने वाले भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी को भी नामचीन निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए आवाज के रूप में निकल रही अभिभावकों की पीड़ा को संज्ञान में लेकर कारगर कदम उठाए जाने की सख्त आवश्यकता है । इस वक्त बेलगाम होती जा रही  देश की नामचीन निजी शिक्षण संस्थाओं का सरकारी ऑडिट कराया जाना चाहिए । चैरिटी के नाम पर आयकर की महाचोरी करने वाले कुछ नामचीन निजी शिक्षण संस्थानों का आयकर विभाग से सर्वे करा दिया जाए तो अकूत संपत्ति का साम्राज्य खड़ा करने वाली इन संस्थाओं के संचालकों की वास्तविक पोल जनता के सामने उसी तरह उजागर होना तय है जिस तरह जनपद गौतम बुधनगर के ग्रेटर नोएडा स्थित  एक निजी शिक्षण संस्थान पर आयकर विभाग द्वारा कसे गए शिकंजे से बहुत बड़ा आयकर घोटाला खुलासा हुआ है।


 जब इस देश के मेहनतकश अन्नदाता किसान की फसल के मूल्य का निर्धारण देश की सरकार संसद के वातानुकूलित हाल में बैठकर कर सकती हैं तब उस गरीब के बच्चे की शिक्षा के लिए निजी शिक्षण संस्थानों में फीस का निर्धारण सरकार द्वारा नहीं किया जाना देश में शिक्षा की असमानता को बरकरार रखने की तरफ इशारा करता है। जब एक अमीर और गरीब का बच्चा एक ही छत के नीचे बैठकर शिक्षा प्राप्त करेंगे तब आर्थिक कमजोरी की वजह से दम तोड़ती प्रतिभाओं को भी अपना हुनर उजागर करना मौका प्राप्त हो सकेगा और असली मायने में तभी देश को वैश्विक महाशक्ति बनने की कल्पना को बल मिल सकेगा। स्कूलों की फीस निर्धारण के संबंध में  देशव्यापी एकरूपता लाने के लिए संसद में बिल पारित किया जाना चाहिए अथवा अध्यादेश जारी किया जाना चाहिए । इसके लिए स्कूलों में उपलब्ध सुविधाओं के अनुसार निजी स्कूलों को कैटिगराइज करते हुए मद अनुसार फीस का निर्धारण किया जाना चाहिए । जिस देश का शिक्षा और स्वास्थ्य का वित्तीय बजट जितना अधिक होगा उस देश को उतनी ही जल्दी वैश्विक महाशक्ति बनने से कोई रोक नहीं पायेगा । यह सब विषय तो कोरोना संकट के बाद के विषय हैं लेकिन फिलहाल सरकार को बच्चों की तीन माह की फीस माफी का आदेश पारित करते हुए अभिभावकों को राहत भरा संदेश देना चाहिए । इससे देश के उन भावी करणधारों में भी सरकार की विश्वसनीयता और लोकप्रियता बढ़ेगी जो आने वाले समय में मतदान के रूप में सरकार का चयन करने में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाने की प्रतीक्षा में है।


 


टिप्पणियाँ
Popular posts
परमपिता परमेश्वर उन्हें अपने चरणों में स्थान दें, उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें व समस्त परिजनों व समाज को इस दुख की घड़ी में उनका वियोग सहने की शक्ति प्रदान करें-व्यापारी सुरक्षा फोरम
चित्र
दिवाली पर बिल्ली का दिखना होता है शुभ, जानिए ये जानवर दिखने पर होता है क्या
इंटीरियर डिजाइन भौतिक और अध्यात्म का मिश्रण है- शेफाली शर्मा
चित्र
उपहार और त्योहार के पावन पर्व पर वैभव सुजुकी ग्राहकों के लिए पूर्ण निष्ठा से समर्पित है
चित्र
मंगेश यादव एनकाउंटर : अखिलेश यादव ने कहा, पुलिस विभाग साजिश करने में जुटा
चित्र