राजस्थान: बसपा ने छह विधायकों को कांग्रेस के ख़िलाफ़ मतदान करने के लिए व्हिप जारी किया

साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में छह विधायक बसपा के टिकट पर जीत कर विधानसभा पहुंचे थे. सितंबर 2019 में उन्होंने कांग्रेस में विलय की अर्जी दी थी, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने मंजूर कर लिया था. अब बसपा का कहना है कि वह एक राष्ट्रीय पार्टी है, जिसका राज्य स्तर पर विलय नहीं हो सकता है.



नई दिल्ली: राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रम को एक नया मोड़ देते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पिछले साल कांग्रेस में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ने वाले छह विधायकों को विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी (कांग्रेस) के खिलाफ मतदान करने का रविवार को व्हिप जारी किया.


बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने एक बयान में कहा, ‘सभी छह विधायकों को अलग-अलग नोटिस जारी कर सूचित किया गया कि चूंकि बसपा एक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी है और (संविधान की) दसवीं अनुसूची के पैरा चार के तहत पूरे देश में हर जगह समूची पार्टी (बसपा) का विलय हुए बगैर राज्य स्तर पर विलय नहीं हो सकता है.’


मिश्रा ने कहा कि अगर छह विधायक पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर मतदान करते हुए हैं, तो वे विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाएंगे.


उन्होंने कहा, ‘ नोटिस में आगे कहा गया है कि वे बसपा के व्हिप का पालन करने के लिये आबद्ध हैं और ऐसा न करने पर वे विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य हो जाने के पात्र होंगे.


मिश्रा ने कहा कि बसपा राजस्थान हाईकोर्ट में अयोग्यता की लंबित याचिका में हस्तक्षेप करेगी या अलग से रिट याचिका दायर करेगी.


उल्लेखनीय है कि 2018 के चुनाव में संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुधा बसपा के टिकट पर जीत कर विधानसभा पहुंचे थे.


इन सभी ने पिछले साल 16 सितंबर को कांग्रेस में एक समूह के रूप में विलय के लिए अर्जी दी थी. विधानसभा स्पीकर ने अर्जी के दो दिन बाद आदेश जारी कर घोषित किया कि इन छह विधायकों से कांग्रेस के अभिन्न सदस्य की तरह व्यवहार किया जाए.


इस विलय से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार को मजबूती मिली और 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस सदस्यों की संख्या बढ़कर 107 हो गई.


इससे पहले, भाजपा विधायक ने शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय को रद्द करने का अनुरोध किया था.


मदन दिलावर द्वारा दायर इस याचिका में विधानसभा अध्यक्ष की ‘निष्क्रियता’ को भी चुनौती दी गई है जिन्होंने बहुजन समाज पार्टी के विधायकों को विधानसभा से अयोग्य ठहराने के उनके अनुरोध पर कोई निर्णय नहीं लिया है.


हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश की पीठ सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगी.


भाजपा विधायक ने इस विलय को दल-बदल नहीं माने जाने के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के समक्ष याचिका दी थी, जिससे इन छह विधायकों को विधानसभा से अयोग्य करार दिया जा सकता था.


दिलावर ने अब अपनी याचिका के साथ हुए बर्ताव की कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी द्वारा दायर याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा की गई कार्रवाई के साथ तुलना की है जिसमें सचिन पायलट नीत 19 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई है.


उन्होंने कहा कि जहां विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस से शिकायत मिलने वाले दिन ही 19 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी कर दिया वहीं उनके मामले में चार माह बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है.


हाईकोर्ट में भाजपा की यह याचिका ऐसे समय में दाखिल की गई है जब बागी विधायकों को भेजे गए स्पीकर के नोटिस पर कानूनी लड़ाई चल रही है जिन्होंने अयोग्य ठहराने के कदम के खिलाफ अदालत का रुख किया.


हाईकोर्ट ने शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष से उनके द्वारा भेजे गये नोटिसों पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं करने को कहा.


राजस्थान में राजनीतिक घमासान जारी रहने के बीच, स्पीकर सीपी जोशी नोटिसों पर कार्रवाई रोक कर रखने के हाईकोर्ट के निर्देश को लेकर पहले ही सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुके हैं.


कांगेस ने ‘लोकतंत्र के लिए आवाज उठाओ’ मुहिम शुरू की


राजस्थान में कांग्रेस के नेताओं ने भाजपा पर संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक परंपरा का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और राष्ट्रीय डिजिटल अभियान ‘लोकतंत्र के लिए आवाज उठाओ’ (‘स्पीक अप फॉर डेमोक्रेसी’) की शुरूआत की.


इसमें भाग लेते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि भारत का लोकतंत्र संविधान के आधार पर जनता की आवाज से चलेगा और देश की जनता भाजपा के ‘छल-कपट के षडयंत्र’ को नकार देगी.


गांधी ने एक ट्वीट में कहा, ‘भारत का लोकतंत्र संविधान के आधार पर जनता की आवाज से चलेगा. भाजपा के छल-कपट के षडयंत्र को नकारकर देश की जनता लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करेगी.’


कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं पार्टी के राजस्थान प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा, ‘राजस्थान की कांग्रेस सरकार कोरोना वायरस से निपटने के लिए सफलतापूर्वक कार्य कर रही है और अपने प्रबंधन से इस महामारी पर नियंत्रण का प्रयास कर रही है, जिसे वैश्विक स्तर पर भी सराहा गया है. ऐसे समय में राज्य की चुनी हुई सरकार को भाजपा अस्थिर करने का प्रयास कर रही है.’


कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, ‘भाजपा सरकार और उसके नेता लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनी सरकारों को गिराने का षड्यंत्र रच रहे हैं. कोरोना वायरस संकट में सराहनीय कार्य कर रही राजस्थान कांग्रेस सरकार को गिराने का षड्यंत्र रचना बंद करें.’


डोटासरा ने कहा, ‘कांग्रेस सरकार कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए प्रभावी रूप से काम कर रही है. यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी उसके प्रयासों की सराहना की है. भाजपा और उसके नेता सरकार को गिराने का प्रयास क्यों कर रहे हैं? मैं कहना चाहता हूं कि लोकतंत्र की जीत होगी और भाजपा का षड्यंत्र विफल होगा.’


जयपुर के एक होटल में कांग्रेस नेताओं के साथ ठहरे कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ‘पहले मध्य प्रदेश और अब राजस्थान में प्रजातंत्र की दिनदहाड़े हत्या का भाजपाई षड्यंत्र बेनक़ाब हो चुका है.’


उन्होंने कहा, ‘क्या प्रजातंत्र दिल्ली दरबार का दास है? क्या बहुमत दिल्ली के हाथों की कठपुतली है? क्या वोट के शासन के मायने नहीं हैं? अगर नहीं, तो मिल कर आवाज़ उठाएं.’


उल्लेखनीय है कि राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 अन्य विधायकों ने कांग्रेस के खिलाफ बागी तेवर अपना लिए हैं. उन्होंने कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भाग लेने संबंधी पार्टी व्हिप की अवहेलना की.


बता दें कि, 200 विधानसभा सदस्यों वाली विधानसभा में 19 असंतुष्ट विधायकों सहित कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं, जबकि भाजपा के पास 72 विधायक हैं.


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