सहज स्वभाव, सहज उपलब्धता,स्वच्छ छवि और किसी भी परिस्थिति में गलत कार्य ना करना इत्यादि के बारे में सलाह दी -अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ.जी.सी.सक्सेना

आगरा विश्वविद्यालय एलुमनाई एसोसिएशन द्वारा डॉ.भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी आगरा के फ्यूचर रोड मैप पर एक राउंड टेबल वेबिनार आयोजित हुई-- कल आगरा विश्वविद्यालय के पुरातन छात्रों के ग्लोबल संगठन द्वारा डॉ.भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी आगरा के फ्यूचर रोड मैप पर एक राउंड टेबल का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न सुधारों के साथ-साथ एलुमनाई की भूमिका पर विस्तृत चर्चा हुई ।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर अशोक मित्तल कुलपति डॉ.भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी रहे और अध्यक्षता पूर्व कुलपति डॉ.जी.सी.सक्सेना ने की । कार्यक्रम का संचालन एसोसिएशन के महासचिव डॉ.अतुल कुमार जैन ने किया, उपाध्यक्ष डॉक्टर जे.एस.शर्मा ने सभी का स्वागत किया और बताया कि  आगरा विश्वविद्यालय का बहुत ही गौरवशाली इतिहास रहा है  यहां से  बहुत सी महान विभूतियों ने अध्ययन किया है ।
अध्यक्ष डॉ. हरिवंश चतुर्वेदी ने विषय की भूमिका और परिचयात्मक वक्तव्य दिया।
वेबीनार में सेंट जॉन्स कॉलेज आगरा के प्रिंसिपल प्रोफेसर एस.पी. सिंह, बी.एस.ए. कॉलेज मथुरा की प्रिंसिपल प्रोफेसर बबीता अग्रवाल, आगरा कॉलेज आगरा के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर मनोज रावत, समाज विज्ञान संस्थान आगरा के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉक्टर बी.एल. गुप्ता, डॉ बी आर अंबेडकर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ.वीरेंद्र सिंह चौहान,सेंट जॉन्स कॉलेज के केमिस्ट्री विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ.हेमंत कुलश्रेष्ठ, इनफॉरमेशन एंड लाइब्रेरी नेटवर्क सेंटर गांधीनगर के निदेशक प्रोफेसर जे.पी.सिंह जुरैल, जे.बी.एम. कंपनी के ग्रुप एच.आर. हेड श्री राजीव सहदेव, इंस्टिट्यूट ऑफ़ बेसिक साइंसेज आगरा के केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ.अजय तनेजा,डॉ.बी.आर. अंबेडकर यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ के महासचिव डॉ. निशांत चौहान के अतिरिक्त बहुत बड़ी संख्या में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक  एवं पुरातन छात्र इत्यादि उपस्थित रहे।
सेंट जॉन्स कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर एस.पी. सिंह ने सुझाव दिया कि महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को जोड़ना चाहिए, और सभी को छात्रों के सामने एक रोल मॉडल प्रस्तुत करना चाहिए, पुरातन छात्रों को आमंत्रित करके महाविद्यालयों में उनकी विशेषज्ञता का लाभ लेना चाहिए।
 बी.एस.ए.कॉलेज मथुरा की प्राचार्या प्रोफेसर बबीता अग्रवाल ने भी कहा कि कोई जादू नहीं हो सकता है परंतु एलुमनाई की भूमिका के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि सभी को छात्रों के हित के कार्य करने चाहिए। 
आगरा कॉलेज आगरा के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर मनोज रावत ने भी कार्यक्रम में अपने महत्वपूर्ण विचार रखते हुए बताया कि आगरा कॉलेज की एलुमनाई एसोसिएशन कार्य कर रही है विश्वविद्यालय दो हिस्सों में बंटने की संभावना है कि अलीगढ़ में एक विश्वविद्यालय की स्थापना होने जा रही है। उन्होंने मार्कशीट और डिग्री जल्दी से समय से छात्रों को मिल जाए इस विषय पर भी जोर दिया तथा रिसर्च वर्क की जो प्रक्रिया जटिल हो गई है उसको भी सरल और समय सीमा में करने का प्रस्ताव दिया।
समाज विज्ञान संस्थान के पूर्व विभागाध्यक्ष समाज कार्य के प्रोफ़ेसर बी एल गुप्ता ने शिक्षा की गुणवत्ता पर और छात्र के सर्वांगीण विकास की ओर जोर देने के लिए सुझाव दिया और कहा कि शिक्षा रोजगार परक होनी चाहिए। भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ.वीरेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि उत्तर भारत का यह प्राचीनतम विश्वविद्यालय है कितने ही विश्वविद्यालय इसमें से बने हैं परंतु आज वर्तमान परिस्थितियों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में परीक्षा संबंधित कार्यों के समय से ना हो पाने के कारण स्थिति में सुधार की आवश्यकता है उसके लिए उन्होंने सभी तरह के सहयोग का प्रस्ताव दिया ।
डॉ.हेमंत कुलश्रेष्ठ ने कहा कि फ्यूचर रोड मैप से पहले हमें वर्तमान स्थिति को देखना चाहिए वर्तमान स्थिति के जो भी प्राथमिकता के कार्य हैं छात्रों से संबंधित उन पर तुरंत ध्यान देते हुए एलुमनाई भी छात्रों की मेंटरिंग करने का कार्य करें, और एलुमनाई के सदस्यों का एक डाटा बैंक तैयार होना चाहिए ।
प्रोफेसर जे.पी. सिंह जुरैल ने भी विश्व विद्यालय की प्रगति के लिए बहुत सारे सुझाव दिए जिसमें एनआईआरएफ और नैक एक्रीडिटेशन पर जोर देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की विभिन्न फंडिंग स्कीम्स का भी फायदा विश्वविद्यालय को लेना चाहिए ।
डॉ.अजय तनेजा ने एलुमनाई की भूमिका को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया और कहां की कैरियर काउंसलिंग, सॉफ्ट स्किल डेवलपमेंट में बहुत ही सपोर्ट रोल हो सकता है और छात्रों की सहायता के लिए पाठ्यक्रम बनाने में और रोजगार उपलब्ध करने में मदद करने हेतु विशेषज्ञता का सहयोग दिया जा सकता है।
 राजीव सहदेव ने अध्यापकों की ट्रेनिंग और ओरियंटेशन पर जोर देते हुए समस्त स्टाफ की ट्रेनिंग के बारे में भी सुझाव दिया और कहा कि शिकायतें खत्म नहीं हो सकती हैं ,अब सुझाव  सुधार के लिए होने चाहिए।
 मुख्य अतिथि प्रोफेसर अशोक मित्तल कुलपति डॉ.भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय ने अपने विनम्रता पूर्ण वक्तव्य में एलुमनाई एसोसिएशन का धन्यवाद ज्ञापित किया कि पिछले माह की बैठक में तय हुआ था जल्दी मीटिंग के लिये और एक माह के अंतराल में पुनः चर्चा हुई यह बहुत अच्छी बात है। उनके पदभार संभालने के तुरंत बाद ही कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन लागू हो गया फिर भी उन्होंने वेबीनार के माध्यम से काफी कार्य विश्वविद्यालय में किए हैं और लगातर कठिन परिश्रम से विश्वविद्यालय के कार्यों में संलग्न है ।उन्होंने एलुमनाई एसोसिएशन की सदस्यता के लिए सुझाव दिया की कॉलेज की एलुमनाई हो और वही विश्वविद्यालय की एलुमनाई का सदस्य माना जाए इस तरह दोहरी सदस्यता के बारे में सुझाव दिया।
 मार्कशीट और डिग्री से संबंधित समस्या जो काफी पुरानी है उस पर भी वह समुचित कदम उठाते हुए शीघ्र ही सुलझाएंगे । कुलपति महोदय ने एक डायरेक्टरी बनाने का भी सुझाव दिया और कॉर्पस  फंड बनाने के लिए भी सलाह दी जो की आवश्यकता अनुसार विकास के कार्यों में खर्च किया जा सके। कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल ने सुझाव दिया कि इस तरह की मीटिंग प्रतिमाह होती रहनी चाहिए जिससे सुझाव और समाधान उनको मिलते रहेंगे और वह कुशलता से कार्य विकास के कार्य प्रगति की दिशा में करते रहेंगे ।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ.जी.सी.सक्सेना ने उदाहरण के साथ बताया कि कुलपति का कार्य बहुत ही कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है जिसमें सहज स्वभाव, सहज उपलब्धता,स्वच्छ छवि और किसी भी परिस्थिति में गलत कार्य ना करना इत्यादि के बारे में सलाह दी ।
साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति और समस्त स्टाफ को संस्था से जुड़ाव रखने का सुझाव दिया और कहा की इससे परिणाम सकारात्मक अवश्य आएंगे, साथ ही उन्होंने एलुमनाई एसोसिएशन के लिए विश्वविद्यालय से एक कार्यालय और गेस्ट हाउस उपलब्ध कराने के लिए सलाह दी।
अंत में एलुमनाई एसोसिएशन के महासचिव डॉ.अतुल कुमार जैन ने प्रवेश के समय ही एलुमनाई मेंबरशिप फॉर्म भरवाने और समाज विज्ञान संस्थान और अन्य के इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं को दुरुस्त करने तथा रिक्त स्थानों पर अध्यापकों की नियुक्ति का सुझाव देते हुए सभी गणमान्य वक्ताओं का धन्यवाद दिया जिन्होंने विषय पर  अपने अपने तरीके से बहुत ही महत्वपूर्ण और बहुमूल्य  सुझाव दिए और मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर अशोक मित्तल जी का विशेष धन्यवाद दिया कि उन्होंने अपना बहुमूल्य समय निकालकर विश्व विद्यालय की प्रगति और विकास हेतु चर्चा में भाग लिया, पूर्व कुलपति डॉ.जी.सी. सक्सेना जी का भी उनके बहुमूल्य सुझावों के लिए धन्यवाद दिया ।
अध्यक्ष डॉ हरिवंश चतुर्वेदी ने सभा के समापन की घोषणा की।


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