फोटो आदित्य बिरला समूह से सेवा निर्वित सुरेश लाल श्रीवास्तव
सेवानिवृत्त के बाद अधिकारी हो कर्मचारी हो व्यक्ति सेवा में आया है वह एक दिन ना एक दिन जाएगा ही यह सब जानते हुए भी व्यक्ति सेवा के प्रति मोह का त्याग नहीं कर पाता परिवर्तन प्रकृति का नियम है हमें संघर्ष स्वीकार करना चाहिए सेवानिवृत्त जिंदगी का अंत तो होता नहीं है यह तो एक काम को छोड़कर दूसरे काम को हाथ में लेने जैसा होता है जिंदगी को हंसी खुशी से ही गुजारने की कोशिश की जानी चाहिए जीवन में सक्रियता बनाए रखना चाहिए और अपनी वह औरों की इस जिंदगी को खुश रखने की कोशिश की जानी चाहिए जिस दिन व्यक्ति नौकरी शुरू करता है
उसकी सर्विस बुक में उसके रिटायरमेंट की तारीख भी लिख दी जाती है इसलिए इसे सामान्य घटना की तरह ही स्वीकार करना चाहिए गीता में यह लिखा गया है जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु भी निश्चित है और मृत्यु के बाद उसका पुनर्जन्म भी निश्चित है जब मृत्यु को भी शोक का कारण नहीं माना गया है तो रिटायरमेंट शोक का कारण हो सकता है सेवा निर्मित जीवन का एक महत्वपूर्ण परिवर्तन होता है यह एक नए जीवन की शुरुआत ही नहीं बल्कि एक तरह से पुनर्जन्म ही है जीवन में हर पल हर परिवर्तन पुनर्जन्म ही होता है और हम इतनी बड़ी घटना को तटस्थ होकर देखते तो है पर इसे पुनर्जन्म के रूप में स्वीकार नहीं करते रिटायरमेंट की अवस्था विशेष स्थिति नहीं है बल्कि हर घटित होने वाली स्थिति है लेकिन अपने कमजोर मनोभाव तथा विकारों से रिटायर हुई है संसार में जो लिफ्ट भावनाएं होती हैं उससे रिटायर होना चाहिए
रिटायरमेंट एक परिवर्तन है एक बेहतर और नए जीवन की शुरुआत है जीवन एक बहुमूल्य वस्तु है जिस को सही से जीने की ललक और सेहत के प्रति जागरूक बढ़ाने के कारण अवश्य दौर में इजाफा होता है अतः सेवानिवृत्ति के बाद 20 से 30 साल तक का जीवन यापन आम बात हो गई है प्रत्येक सेवा निर्मित व्यक्ति को यह समझ लेना चाहिए वह सरकारी नौकरी हो या प्राइवेट सेवा से सेवानिवृत्त नहीं हुआ है ना कि कार्य करने की क्षमता से इसलिए अपने अनुभव के अनुसार हर समय काम करते रहना चाहिए उसे पूरे मनोयोग से पारिवारिक व सामाजिक परिवेश को स्वीकारते हुए अपने अनुकूल ढालने का प्रयास करना चाहिए यदि गंभीरता बरती जाए तो उसके लिए उपयोगी साबित हो सकती है सुरेश श्रीवास्तव जी ने कहा कि जीवन में सक्रियता कीकमी नहीं आनी चाहिए
सुरेश लाल श्रीवास्तव जी ने कहा है कि वह समाज में अपना योगदान देकर अपने जीवन को सार्थक और रचनात्मक बनाएंगे अपने अनुभव के अनुसार समाज में अपना योगदान देंगे श्री श्रीवास्तव जी ने कहा कि आओ सब मिलकर एक अच्छा समाज निर्मित करें मानव सेवा ही परम धर्म है और सेवा करने की कोई उम्र नहीं होती
सुरेश लाल श्रीवास्तव जी ने अपने जीवन में परम जी को धन्यवाद दिया उन्होंने कहा कि परम जी की ओर से शक्ति भरा प्रकाश आ गया है परम जी की इच्छा रखते हैं शक्ति के प्रयोग से अपना जीवन अधिक प्रश्न बनाएं और दुखी रूप अंधकार से सफलता रूपी प्रकाश की ओर आगे बढ़े अन्य लोगों को भी सुखी होने की प्रेरणा दें सुख शांति सफलता स्वास्थ्य समृद्धि इसी जन्म में पाने का सीधा मार्गदर्शन बताया है
आपके लिए सभी के लिए p3y महान शक्ति