सरकार को धारा 302 और 307 के मुजरिमों को पालने की आवश्यकता नहीं है --अधिवक्ता मनोज गुप्ता


                 अधिवक्ता मनोज गुप्ता


नोएडा हिंदी दैनिक आज का मतदाता नोएडा बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव मनोज गुप्ता जो कि वर्तमान में कई सामाजिक संगठनों में सुर्खियों पर रहते हैं और कुछ न कुछ बेहतर करते भी रहते हैं आप एक युवा अधिवक्ता हैं आपने एक बुनियादी सवाल के जवाब में कहा कि आज देश को कुछ कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता है कानून का खौफ आम आदमी से लेकर इनामी अपराधियों को होना चाहिए लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं है आज अपराधी के कई मामलों में निर्णय होने के बावजूद उसका पालन पोषण सरकार जारी रखती है मनोज गुप्ता ने कहा कि विकास दुबे जैसे सैकड़ों अपराधियों को चिन्हित करने का काम सरकार करें और आपने सरकार से यह अपील भी किया है कि इस तरह के अपराधियों को जो कोर्ट ने 302 और 307 में निर्णय सजा सुना दी है उसे शीघ्र से शीघ्र अनुरोध कोर्ट के निर्णय को अमल में लाने की सरकार की आवश्यकता है यदि इन धारा 302 और 307 जैसे गंभीर मामलों के कोर्ट के निर्णय को सरकार द्वारा क्रियान्वित कर दिया जाता है तो समाज में अपराधों का पनपना समाप्त हो जाएगा क्योंकि अपराधों को जड़ से सरकार कोर्ट के निर्णय के अनुरूप सजा देकर एक क्रांतिकारी पहल करेगी अधिवक्ता मनोज गुप्ता जी ने नया प्रक्रिया में पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि पुलिस का समर्पण तो नहीं किया जा सकता पर विकास दुबे द्वारा पुलिस की सार्वजनिक हो जाने पर प्रश्न पैदा कर दिया है इसलिए सरकार को चाहिए कि गंभीर धाराओं में निर्णय अपराधियों को जल्द से जल्द से अपराध और आगे अधिवक्ता मनोज गुप्ता ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले गवाहों की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार से अपील की है कि पीड़ित का सबसे महत्वपूर्ण अंग है दिशा और दशा गवाह द्वारा निश्चित होता है जिसमें न्यायपालिका का दिशा निर्देशन का मुख्य किरदार विनीत होता है इसलिए इनकी सुरक्षा जितनी पुख्ता होगी हमारा न्याय के प्रति आस्था और बलवान होती जाएगी एक सवाल के जवाब में आप ने कहा कि केंद्र एवं प्रदेश सरकार की सभी आर्थिक नीतियां डिजिटल आर्थिक लेनदेन को बढ़ावा देने में उत्सुकता से समर्पित है लेकिन इस नीति में सबसे बड़ी चुनौती साइबर क्राइम की है जो आज व्यापारी और आम व्यक्ति साइबर अपराध के दंश से भयभीत हैं उसे इस बात का भय रहता है कि साइबर अपराध द्वारा एक ओटीपी देने के बाद उसकी जमा पूंजी अपराधिक षड्यंत्र का हिस्सा बन जाएगी और उसे पुलिस थानों में चक्कर पर चक्कर लगाने पड़ेंगे सरकार इसके लिए ठोस कदम उठाए।


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