वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी ने जब साल 2019 के चुनाव में अपना नामांकन पत्र भरा था, तब जगदीश चौधरी उनके प्रस्तावकों में से एक थे. हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के दौरान डोम बिरादरी की प्रमुख भूमिका होती है. इस बिरादरी के मुखिया को ‘डोम राजा’ कहा बुलाया जाता है.


नई दिल्ली: काशी के ‘डोम राजा’ जगदीश चौधरी का मंगलवार सुबह वाराणसी के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. वह 55 वर्ष के थे. वह लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे.


हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के दौरान डोम बिरादरी की प्रमुख भूमिका होती है. इस बिरादरी के मुखिया को ‘डोम राजा’ कहा जाता है.


जगदीश चौधरी के पुरखों का घर वाराणसी में त्रिपुरा भैरवी घाट पर स्थित है. जगदीश चौधरी के परिवार में पत्नी रुक्मणी देवी (45 वर्षीय), दो पुत्रियां (19 और 16 वर्ष) और एक पुत्र ओम (14 वर्ष) है.


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वाराणसी के मणिकर्णिका और हरिशचंद्र घाट में तमाम पीढ़ियों से हिंदू धर्म के लोगों का अंतिम संस्कार डोम समाज के लोग ही करते आ रहे हैं. समाज के एक हजार से अधिक लोग वाराणसी के इन्हीं घाटों के आसपास रहते हैं. जगदीश चौधरी अंतिम संस्कार करने वाले लोगों को मुखिया थे, उन्हें पौराणिक राजा कालू डोम का उत्तराधिकारी समझा जाता था.


रिपोर्ट के अनुसार, डोम राजा के तौर पर जगदीश चौधरी घाट पर होने वाले विवादों को सुलझाते थे. इसके अलावा डोम समाज के लोगों द्वारा शव जलाने की बारी का निर्णय भी वही करते थे.


अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार सुबह वाराणसी के सिगरा स्थित एक निजी अस्पताल में जगदीश चौधरी ने अंतिम सांस ली. देर शाम मणिकर्णिका घाट पर पुत्र ने मुखाग्नि दी.


परिजनों ने बताया कि मंगलवार की सुबह उनकी हालत ज्यादा खराब होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया. थोड़ी देर बाद उन्होंने दम तोड़ दिया. जांघ में घाव के कारण पिछले कई महीनों से उनका इलाज चल रहा था.


दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, जगदीश चौधरी डोम राजा परिवार के प्रतिनिधि भी थे. अंतिम डोम राजा के तौर पर स्‍‍‍‍‍व. कैलाश चौधरी की पहचान मानी जाती है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए उन्हें सनातन परंपरा का संवाहक बताया.


प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘वाराणसी के डोम राजा जगदीश चौधरी जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है. वह काशी की संस्कृति में रचे-बसे थे और वहां की सनातन परंपरा के संवाहक रहे.’


मोदी ने कहा, ‘उन्होंने जीवनपर्यंत सामाजिक समरसता के लिए काम किया. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिजनों को इस पीड़ा को सहने की शक्ति दे.’



 


वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी ने जब साल 2019 के चुनाव में अपना नामांकन पत्र भरा था, तब जगदीश चौधरी उनके प्रस्तावकों में से एक थे.


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘डोम राजा’ चौधरी के निधन पर संवेदना जताते हुए कहा कि वह भगवान विश्वनाथ के सच्चे उपासक थे. शाह ने कहा कि काशी के डोम राजा का पद भारतीय संस्कृति में व्याप्त विविधता, व्यापकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक है.



 


उन्होंने ट्वीट किया, ‘डोम राजा सनातन संस्कृति की सबसे अभिन्न कड़ी हैं, जो अपनी अग्नि से लोगों को मोक्ष का द्वार दिखाते हैं. बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि डोम राजा जगदीश चौधरी जी को अपने श्री चरणों में स्थान दें और उनके परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें. ॐ शांति शांति शांति.’


गृह मंत्री ने कहा, ‘बाबा विश्वनाथ के ऐसे सच्चे उपासक का देहांत अत्यंत दुःखद है. उनका निधन सनातन परंपरा और भारतीय समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है.’


एक अन्य ट्वीट में शाह ने कहा है, ‘डोम राजा सनातन संस्कृति की सबसे अभिन्न कड़ी हैं जो अपनी अग्नि से लोगों को मोक्ष का द्वार दिखाते हैं. बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि डोम राजा श्री जगदीश चौधरी जी को अपने श्री चरणों में स्थान दें और उनके परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें. ॐ शांति शांति शांति.’


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उनके निधन पर शोक जताया है.



 


उन्होंने ट्वीट कर कहा है, ‘सामाजिक समरसता की भावना के प्रतीक पुरुष, काशीवासी डोमराजा श्री जगदीश चौधरी जी का निधन अत्यंत दुःखद है. श्री जगदीश चौधरी जी का कैलाशगमन संपर्ण भारतीय समाज की एक बड़ी क्षति है. बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि आपको अपने परमधाम में स्थान प्रदान करें. ॐ शांति.’


उन्होंने आगे कहा, ‘बाबा विश्वनाथ के आराधक डोमराजा श्री जगदीश चौधरी जी के निवास पर पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की अगुवाई में धर्माचार्यों द्वारा सहभोज किया जाना, भेदभाव रहित भारतीय समाज की भावना का अप्रतिम उदाहरण था. दोनों हुतात्माओं की पुण्य स्मृति को प्रणाम!’


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