अप्रैल से अगस्त के बीच क़रीब 2.1 करोड़ वेतनभोगी नौकरियां गईं: रिपोर्ट


सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के मुताबिक़ जुलाई में लगभग 48 लाख और अगस्त में 33 लाख वेतनभोगी नौकरियां गई हैं. वहीं मासिक आंकड़ों के अनुसार देश की बेरोज़गारी दर अगस्त में बढ़कर 8.35 प्रतिशत हो गई, जो उससे पिछले महीने 7.40 प्रतिशत थी.


नई दिल्ली: सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने कहा है कि अप्रैल-अगस्त के दौरान लगभग 2.1 करोड़ वेतनभोगी कर्मचारियों ने अपनी नौकरी खो दी.


इसमें से अगस्त में लगभग 33 लाख नौकरियां गईं और जुलाई में 48 लाख लोगों ने अपनी नौकरी खो दी.


सीएमआईई ने कहा है कि नौकरी का नुकसान केवल वेतनभोगी कर्मचारियों के बीच सहायक कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें औद्योगिक कर्मचारी और बड़े कर्मचारी भी शामिल हैं.


साल 2019-20 के पूरे साल की तुलना में अगस्त में वेतनभोगी नौकरियां देश में 8.6 करोड़ से घटकर 6.5 करोड़ हो गईं.


सीएमआईई ने कहा, ‘सभी प्रकार के रोजगार में 2.1 करोड़ नौकरियों की कमी सबसे बड़ी है. जुलाई में लगभग 48 लाख वेतनभोगी नौकरियां गईं और फिर अगस्त में 33 लाख नौकरियां चली गईं.’



 


सीएमआईई के मासिक आंकड़ों के अनुसार देश की बेरोजगारी दर अगस्त में बढ़कर 8.35 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने में 7.40 प्रतिशत थी.


शहरी बेरोजगारी दर अगस्त में 9.37 प्रतिशत से बढ़कर 9.83 प्रतिशत हो गई, जबकि अगस्त में ग्रामीण बेरोजगारी दर अगस्त में बढ़कर 7.65 प्रतिशत हो गई थी, जो उससे पिछले महीने की 6.51 प्रतिशत थी.


सीएमआईई ने कहा है कि आर्थिक विकास के संकुचन के दौरान वेतनभोगी नौकरियां सबसे अधिक प्रभावित हो रही हैं. वेतनभोगी नौकरियां आर्थिक विकास या उद्यमशीलता में वृद्धि के साथ भी बढ़ती हुई दिखाई नहीं दे रही हैं.


भारत के कुल रोजगार में वेतनभोगी नौकरियों का हिस्सा करीब 21-22 प्रतिशत होता है.


लॉकडाउन के दौरान नौकरी गंवाने वाले लोगों के लिए खेती अंतिम विकल्प रहा है, इसलिए साल 2019-20 के दौरान 11.1 करोड़ कर्मचारियों के मुकाबले अगस्त तक खेती में रोजगार में 1.4 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है.


सीएमआईई ने कहा कि लॉकडाउन के कारण उद्यमियों के रोजगार में पहले गिरावट आ गई थी, लेकिन अगस्त तक इसमें लगभग 70 लाख की वृद्धि हुई है.


रिपोर्ट के मुताबिक दिहाड़ी मजदूरों पर भी काफी प्रभाव पड़ा था क्योंकि अप्रैल में 12.1 करोड़ में से 9.1 करोड़ नौकरियां चली गईं थी. हालांकि अगस्त तक इसमें सुधार हुआ और अब 2019-20 में कुल 12.8 करोड़ नौकरियों की तुलना में ये 1.1 करोड़ ही कम है.


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