बुनियादी शिक्षा में भी कानून की पढ़ाई सम्मिलित - अधिवक्ता नीरज सक्सेना


    अधिवक्ता नीरज सक्सेना


हिं.दै.आज का मतदाता नोएडा अधिवक्ता नीरज सक्सेना जो तकरीबन 10 वर्षों से टैक्स सेवा के रूप में जुड़ कर अपने अनुभव को देश एवं व्यापारियों के हित में साझा कर रहे हैं आप ने कानून की परिभाषा एवं उसकी प्रैक्टिकल व्यवहारिकता से संबंधित एक सवाल के जवाब में कहा कि कानून की मूल भावना अनेक तथ्यों में निहित है  परंतु उनमें से कर्तव्य एवं दायित्व प्रमुख है और यदि विद्यार्थी को प्रारंभिक शिक्षा सिलेबस में कुछ कानूनी पहलुओं को शामिल किया जाता है तो उसकी बुनियाद प्रारंभ से इसके प्रति मजबूत और जागरूक रहेगी और वह अपने व्यवहारिक जीवन में सदैव उसका अनुपालन करेगा आपने कहा कि एक अधिवक्ता हमेशा ही विद्यार्थी रहता है उसे हर चीज में कुछ अलग अलग सीखने को मिलता है इसलिए इसका प्रारंभ विद्यार्थी जीवन से हो तो बेहतर होगा नीरज सक्सेना ने कानून की नियत पर एक सवाल के जवाब में कहा कि कानून हमेशा सत्य का निर्माण कर उसमें ऊर्जा का संचार करती है इसलिए सत्यता की रक्षा अधिवक्ता सेवा का प्रथम लक्ष्य होता है वर्तमान परिपेक्ष में कानूनी प्रक्रिया में चल रहे न्याय व्यवस्था में लंबे समय से समय सीमा सुनिश्चित किए जाने के संबंध में अपना राय व्यक्त करते हुए कहा कि यदि विलंब से न्याय मिलेगी तो वह न्याय नहीं होगी अब बहुत आवश्यक हो गया  है कि देश   21वीं सदी में है और संचार क्रांति के कारण जरूरी हो गया है कि हम न्याय प्रक्रिया में बुनियादी परिवर्तन कर तय सीमा में न्याय व्यवस्था का लाभ पीड़ित पक्षकार को सौंपी आपने कहा कि धीरे-धीरे डिजिटल माध्यम की उपयोगिता इस क्षेत्र में बढ़ानी चाहिए जिससे वादों का निपटारा अधिक संख्या में हो सके। एक सवाल के जवाब में आपने कहा इसके साथ-साथ  कोर्ट की संख्या में बढ़ोतरी अति आवश्यक है तथा अधिक से अधिक फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या भी बढ़ाई जाए। देश की आर्थिक नीति से संबंधित एक सवाल के जवाब में आप ने कहा कि देश में आर्थिक  नीतिगत परिवर्तन हुए हैं  लेकिन भ्रष्टाचार में कोई भी बदलाव नहीं आया है जब तक भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा नीतियों की सार्थकता सामने नहीं दिखाई देगी आपने बैंकों द्वारा जारी किए कर्ज के संबंध में एक सवाल के जवाब में कहा कि बैंक अक्सर कागजों को प्रमाणित होने के उपरांत  कर्ज दे देते हैं यदि बैंक संबंधित व्यक्ति की सामाजिक जानकारी उसकी कागजों के साथ-साथ उसके क्षेत्र के लोगों से गोपनीय रूप से लेकर उस पर समीक्षा करके लोन दे तो शायद वर्तमान में तेजी से बढ़ रहे n p a  पर रोक लगेगी और कागजों की खानापूर्ति करके लोन लेने की मानसिकता पर काफी रोक लग जाएगी जिससे देश का पैसा गलत हाथों में जाने से बचेगा


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