कृषि विधेयकों के विरोध में पंजाब में ‘रेल रोको’ प्रदर्शन शुरू, ट्रेन सेवाएं निलंबित


पंजाब में किसान संगठनों द्वारा आहूत ‘रेल रोको’ प्रदर्शन तीन दिनों तक चलेगा. इसके अलावा कुल 31 किसान संगठनों ने विवादित कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ 25 सितंबर को पंजाब में पूर्ण बंद का आह्वान किया है. रेलवे की ओर से कहा गया है कि इस आंदोलन से ज़रूरी सामानों और खाद्यान्नों की आवाजाही पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.


चंडीगढ़/नई दिल्ली: पंजाब में तीन विवादित कृषि विधेयकों के खिलाफ बृहस्पतिवार से किसानों ने तीन दिवसीय ‘रेल रोको’ प्रदर्शन शुरू किया और इसी के मद्देनजर फिरोजपुर रेल संभाग ने विशेष ट्रेनों के परिचालन को रोक दिया.


रेल अधिकारियों ने बताया कि 14 जोड़ी विशेष ट्रेनें 24 सितंबर से 26 सितंबर तक निलंबित रहेंगी. उन्होंने बताया कि यह फैसला यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे संपत्ति को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.


अधिकारियों ने बताया कि गोल्डेन टेम्पल मेल (अमृतसर-मुंबई मध्य), जन शताब्दी एक्सप्रेस (हरिद्वार-अमृतसर), नई दिल्ली-जम्मू तवी, कर्मभूमि (अमृतसर-न्यू जलपाईगुड़ी), सचखंड एक्सप्रेस (नांदेड़-अमृतसर) और शहीद एक्सप्रेस (अमृतसर-जयनगर) निलंबित ट्रेनों की सूची में शामिल हैं.


मौजूदा समय में कोविड-19 महामारी की वजह से नियमित यात्री ट्रेनें पहले से ही निलंबित हैं.


‘रेल रोको’ प्रदर्शन किसान मजदूर संघर्ष समिति ने आहूत किया और बाद में अलग-अलग किसान संगठनों ने भी इसे अपना समर्थन दिया है.


भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहण) के कार्यकर्ता बरनाला और संगरूर में बृहस्पतिवार सुबह रेल पटरियों पर बैठ गए. किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले किसानों ने अमृतसर के देवीदासपुर और फिरोजपुर के बस्ती टांका वाला में रेल पटरियों पर बैठने का निर्णय लिया है.


समिति के प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्हें सरकारी कर्मचारियों और श्रमिकों के कई तबकों से समर्थन मिल रहा है.


समिति के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि उन्होंने राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों, मंत्रियों, सांसदों और विधायकों से अपील की है कि वे किसानों के प्रदर्शन में हिस्सा न लें.


कार्यकर्ताओं ने भाजपा नेताओं और उन लोगों का सामाजिक बहिष्कार करने का संकल्प लिया है, जिन्होंने इन विधेयकों के समर्थन में मतदान किया था. कुल 31 किसान संगठनों ने कृषि विधेयकों के खिलाफ 25 सितंबर को पंजाब में पूर्ण बंद का आह्वान किया है.


पंजाब में किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि इन विधेयकों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म करने का रास्ता साफ हो जाएगा और वे बड़े पूंजीपतियों की दया पर निर्भर हो जाएंगे.


राज्यसभा में आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020, किसान उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (प्रोत्साहन एवं सुविधा) विधेयक 2020 तथा किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन का समझौता एवं कृषि सेवा विधेयक 2020 पारित हो चुका है.


राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ये विधेयक कानून बन जाएंगे.


केंद्र की मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन किया है, जिसके जरिये खाद्य पदार्थों की जमाखोरी पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया है.


सरकार ने एक नया कानून- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (प्रोत्साहन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 पेश किया है, जिसका उद्देश्य कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार करना है.


केंद्र ने एक और नया कानून- किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन का समझौता एवं कृषि सेवा विधेयक 2020 पारित किया है, जो कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को कानूनी वैधता प्रदान करता है ताकि बड़े बिजनेस और कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट पर जमीन लेकर खेती कर सकें.


किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.


दूसरी ओर मोदी सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं. 


हालांकि इसके विरोध में पंजाब और हरियाणा में लगातार प्रदर्शन हो रहा है. इससे पहले इन अध्यादेशों को किसान विरोधी बताते हुए भारतीय किसान संघ और अन्य किसान संगठनों ने बीते 10 सितंबर को हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के पिपली में प्रदर्शन किया था. बीते 20 जुलाई को भी राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के किसानों ने अध्यादेशों के विरोध में प्रदर्शन किया था.


इस बीच पंजाब के मुक्तसर जिले में बीते 19 सितंबर को कृषि संबंधी नए विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान 70 साल के एक किसान की किसी जहरीले पदार्थ खाने के बाद मौत हो गई थी.


मृतक किसान भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहण) द्वारा 15 सितंबर से मुक्तसर ज़िले के बादल गांव में नए कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ आयोजित प्रदर्शन में भाग ले रहे थे, जो पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का पैतृक गांव है.


बीते 17 सितंबर को शिरोमणि अकाली दल की नेता और प्रकाश सिंह बादल की बहू हरसिमरत कौर ने कृषि विधेयकों के विरोध में नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.


जरूरी सामानों और खाद्यान्नों की आवाजाही पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा: रेलवे


रेलवे ने बृहस्पतिवार को कहा कि कृषि विधेयकों को लेकर पंजाब में चल रहे ‘रेल रोको’ आंदोलन से खाद्यान्नों तथा अन्य आवश्यक सामग्रियों की ढुलाई के साथ-साथ विशेष ट्रेनों के जरिये यात्रियों की आवाजाही पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.


नई दिल्ली में रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि पंजाब में इस साल अगस्त में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का 990 रेक खाद्यान्न का लदान किया गया. इसके अलावा 23 सितंबर तक 816 रेक लदान किया जा चुका है. एफसीआई पंजाब से रोजाना 35 से अधिक रेक लदान करा रहा है.


उन्होंने कहा कि पंजाब में रोजाना 9-10 रेक उर्वरक, सीमेंट, ऑटो और मिश्रित खाद्य सामग्री कंटेनरों में लादी जा रही है. इसके अलावा राज्य में रोजाना 20 रेक कोयला, खाद्यान्न, कृषि उत्पाद, मशीनरी पेट्रोलियम उत्पाद लाए जाते हैं.


रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘पंजाब रेल आंदोलन से खाद्यान्नों और अन्य आवश्यक वस्तुओं के लदान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. इससे आम लोगों, तेजी से उबर रही रेलवे माल ढुलाई सेवा तथा अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी.’


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