चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच भारत और अमेरिका ने ‘टू प्लस टू’ वार्ता के तीसरे चरण के दौरान ‘बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट’ पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके तहत अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, उपग्रह के गोपनीय डाटा और दोनों देशों के बीच अहम सूचना साझा करने की अनुमति होगी.
नई दिल्ली: भारत और अमेरिका ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौता किया जिससे अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, उपग्रह के गोपनीय डाटा और दोनों देशों के बीच अहम सूचना साझा करने की अनुमति होगी.
‘टू प्लस टू’ वार्ता के तीसरे चरण के दौरान ‘बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट’ (बीईसीए) पर दोनों रणनीतिक भागीदारों के बीच दस्तखत ने द्विपक्षीय रक्षा और सैन्य संबंधों को आगे और प्रगाढ़ करने का संकेत दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा तंत्र को मंजूरी दिए जाने के बाद सितंबर 2018 में दिल्ली में पहली ‘टू प्लस टू’ बैठक हुयी थी. बैठक का दूसरा संस्करण पिछले साल दिसंबर में वाशिंगटन में आयोजित हुआ था.
अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पिओ और अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क टी. एस्पर भारत-अमेरिका के बीच मंगलवार को होने वाली तीसरी ‘टू प्लस टू’ वार्ता के लिए सोमवार को दिल्ली पहुंचे थे.
उच्चस्तरीय बातचीत खासा महत्व रखती है क्योंकि यह ऐसे वक्त हो रही है जब चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी आर्थिक और सैन्य गतिविधियों को विस्तार देने का प्रयास कर रहा है और पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ उसका तनावपूर्ण गतिरोध भी बरकरार है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री मार्क टी. एस्पर के साथ वार्ता की. दोनों पक्षों के शीर्ष सैन्य और रक्षा अधिकारिायों ने इसमें सहयोग दिया.
‘टू प्लस टू’ वार्ता में दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच पहले से कायम करीबी संबंधों को आगे और घनिष्ठ करने तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपसी हितों के व्यापक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया.
रणनीतिक संबंधों के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण ‘बीईसीए’ पर दस्तखत के साथ दोनों देशों के बीच चार महत्वपूर्ण करार को अंतिम रूप दे दिया गया.
दोनों देशों ने जनरल सिक्योरिटी ऑफ मिलिट्री इनफॉर्मेशन एग्रीमेंट (जीएसओएमआईए) पर 2002 में दस्तखत किए थे.
रक्षा समझौता और प्रौद्योगिकी साझा करने के संबंध में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत अमेरिका ने 2016 में भारत को ‘प्रमुख रक्षा सहयोगी’ का दर्जा दिया था. दोनों देशों ने 2016 में ‘लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट’ किया था.
भारत और अमेरिका ने 2018 में एक और महत्वपूर्ण करार किया था जिसे ‘कोमकासा’ कहा जाता है.
बीईसीए के बारे में अधिकारियों ने कहा कि समझौते से भारत की गोपनीय भूस्थैतिक डाटा के साथ ही अन्य सैन्य अनुप्रयोगों के संबंध में सूचनाओं तक पहुंच होगी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, समझौते पर हस्ताक्षर के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्षेत्रीय अखंडता और स्वायत्ता की रक्षा की बात कही.
सिंह ने कहा, ‘हमने कई प्रमुख मुद्दों पर व्यापक चर्चा की. अमेरिका के साथ बीईसीए समझौता एक महत्वपूर्ण कदम है. अमेरिका के साथ हमारा सैन्य सहयोग बहुत अच्छी तरह आगे बढ़ रहा है. हमने रक्षा उपकरणों के संयुक्त विकास के लिए परियोजनाओं की पहचान की. हमने भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की.’
वहीं, एस्पर ने जहां चीन द्वारा बढ़ती आक्रामकता और अस्थिर करने वाली गतिविधियों पर बात की तो पोम्पिओ ने गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की हत्या का उल्लेख किया.
पोम्पिओ ने कहा, ‘हमने विश्व युद्ध के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए बलिदान देने वाले भारतीय सशस्त्र बलों के पुरुषों और महिलाओं को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का दौरा किया, जिसमें गलवान घाटी में पीएलए द्वारा मारे गए 20 लोग शामिल थे. अमेरिका भारत के साथ खड़ा होगा क्योंकि वे अपनी संप्रभुता, स्वतंत्रता के लिए खतरों का सामना करेंगे.’
उन्होंने आगे कहा, ‘अमेरिका और भारत न केवल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा बल्कि सभी तरह के खतरों के खिलाफ हमारे सहयोग को मजबूत करने के लिए कदम उठा रहे हैं. पिछले साल हमने साइबर मुद्दों पर अपने सहयोग का विस्तार किया है, हमारी नौसेनाओं ने हिंद महासागर में संयुक्त अभ्यास किया है.’
जयशंकर ने कहा कि भारत-अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा तालमेल में वृद्धि हुई है और हिंद-प्रशांत चर्चा का एक केंद्र था. अमेरिकी रक्षा मंत्री एस्पर ने कहा कि द्विपक्षीय रक्षा सहयोग लगातार बढ़ रहा है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों ने हवाले कहा कि ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय संवाद के तीसरे संस्करण से पहले पोम्पिओ और एस्पर ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ बातचीत की, जिसमें दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक संबंधों के प्रमुख पहलुओं को शामिल किया गया. बैठक में रणनीतिक महत्व के मुद्दों पर चर्चा की गई.
अमेरिकी प्रशासन के दोनों शीर्ष अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल भी बैठक के दौरान उपस्थित थे.