कोरोना वायरस से उबरने के बाद फिर से हो सकते हैं संक्रमित: आईसीएमआर


भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के निदेशक बलराम भार्गव ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक होने के बाद अगर पांच महीने के अंदर किसी शख़्स के शरीर में एंटीबॉडीज़ कम होती हैं तो उसके फिर से कोविड-19 से संक्रमित होने की आशंका है.



नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद अगर शरीर में पांच महीने में एंटीबॉडीज़ कम होती हैं तो शख्स फिर से संक्रमित हो सकता है.



अधिकारी ने संक्रमण से बचाव के लिए लोगों से मास्क लगाने और उचित व्यवहार का पालन करने की अपील की.


आईसीएमआर के निदेशक बलराम भार्गव ने बताया, ‘हम आंकड़े देख रहे हैं कि कितने लोग संक्रमित हुए, ठीक हुए और फिर संक्रमित हुए. आम तौर पर हम जानते हैं कि शरीर में एंटीबॉडीज़ तीन से पांच महीने तक रहती हैं.’


उन्होंने प्रेस वार्ता में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति 90 दिन के बाद फिर से संक्रमित हो जाता है तो आप इसे पुन:संक्रमण बताते हैं. हम इसके अनुसार आंकड़ों को देख रहे हैं. जब यह हमारे पास उपलब्ध होंगे तो हम यह आपको दिखाएंगे.’


उन्होंने कहा कि कुछ अध्ययन बताते हैं कि एंटीबॉडीज़ तीन महीने तक शरीर में रहती हैं, जबकि कुछ का कहना है कि यह पांच महीने तक रहती हैं.


भार्गव ने कहा कि यह नई बीमारी है, इसलिए अभी सीमित जानकारी है. संक्रमण से ठीक होने के बाद अगर पांच महीने के अंदर किसी शख्स के शरीर में एंटीबॉडीज़ कम होती हैं तो उसके फिर से कोविड-19 से संक्रमित होने की आशंका है.


 


बता दें कि सितंबर महीने में गुजरात में कोरोना संक्रमित हुए चार लोग चार महीने बाद फिर से संक्रमित पाए गए थे. अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने बताया था कि 18 अगस्त से 6 सितंबर के बीच कोरोना संक्रमण के चार ऐसे मामले सामने आए हैं, जो चार महीने पहले कोविड-19 वायरस संक्रमण के बाद ठीक हो गए थे.


इससे पहले कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में भी इसी तरह का मामला सामने आया था, जहां कोविड संक्रमण से स्वस्थ हो चुकी एक महिला फिर से इस वायरस से संक्रमित पाई गई थीं.


बेंगलुरु के फोर्टिस हॉस्पिटल ने बताया था कि जुलाई में 27 साल की ये महिला कोरोना पॉजिटिव पाई गई थीं और इलाज के बाद उनकी टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव होने पर उन्हें घर भेज दिया गया था, लेकिन एक महीने के बाद उनमें फिर कोरोना के लक्षण मिले और टेस्ट में फिर कोविड-19 की पुष्टि हुई.


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