अधिवक्ता राजेश महना
हिं.दै.आज का मतदाता नई दिल्ली ग्रेटर कैलाश, वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश महना ने वर्तमान सरकार द्वारा लागू नीतियों में से एक जो तकनीकी तौर पर व्यवहारिकता के साथ साथ न्याय को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की नीति , कि हर किसी को अपनी बात कहने का मौका मिलना चाहिए यह व्यवस्था इस मौलिक अधिकार से भिन्न है आपने कहा कि वर्तमान स्कूटनी व्यवस्था ,व्यवहारिकता की बुनियाद पर कई खामियों को समेटे हुए है, आपने यह तथ्य एक संक्षिप्त भेंटवार्ता के अंतर्गत कहां l एडवोकेट राजेश महना जो तथ्यों को काफी बारीकी और गंभीरता से परखते हैं इसलिए आपने बगैर किसी तर्क देने के सीधे तौर पर कहा कि यह व्यवस्था वैश्विक महामारी के समय उपयुक्त दिखती है लेकिन न्याय व्यवस्था की सर्वोच्च परिकल्पना की हर किसी नागरिक को एक मौका अपनी बात कहने का जरूर मिलना चाहिए, उससे अलग रखती है आपने कहा कि हमारे देश में अभी भी लोकतंत्र कायम है और यह लोकतंत्र की खूबी है कि हमें अपनी बात को रखने का अधिकार हमें संविधान प्रदान करता है वह भी व्यक्तिगत तौर पर सामने उपस्थित होकर l आपने कहा कि वर्तमान फेसलेस व्यवस्था में इस अधिकार को नजरअंदाज किया गया है आपने कहा कि इसकी व्यावहारिकता की सच्चाई तो यह है कि जो कागजात ई व्यवस्था के द्वारा जमा किए जाएंगे वह हकीकत में आधे ही पढ़े जाएंगे और आधे ही समझे जाएंगे जिसका परिणाम यह होगा कि लोगों की समस्याएं बढ़ेंगी और लोग कोर्ट में जाकर न्याय की बात रखना चाहेंगे और न्याय पाना चाहेंगे lएडवोकेट राजेश महना ने कहा कि इस व्यवस्था में किसी भी स्टेज पर संबंधित अधिकारी का अपना दिमाग का उपयोग नहीं होगा क्योंकि वह वही देख पाएगा या वही समझ पाएगा जो उसके पूर्व के अधिकारियों ने अपनी राय या टिप्पणी की है आपने कहा कि सरकार को इसमें परिवर्तन करते हुए कुछ ऐसी व्यवहारिक प्रावधान करने की आवश्यकता है जिससे भविष्य में दिक्कतें कम हो और आम नागरिक, आम व्यापारी, अपनी बात को रखने, अपनी बात को कहने का मौका मिले l एक अन्य गंभीर और महत्वपूर्ण सवाल के जवाब में कहा कि देश में लागू अनेकों एक्ट ब्रिटिश काल में बने और चल रहे हैं उसमें परिवर्तन की आवश्यकता है तथा जजों की नियुक्ति शीर्ष अदालतों में जो कोलोजियम सिस्टम के अनुरूप होती है उसकी समीक्षा भी होनी चाहिए