कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के चलते ब्रिटेन में यह महामारी और भी ख़तरनाक रूप ले चुकी है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मार्च 2020 में लगाए लॉकडाउन की तरह ही संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की है, जिसमें फरवरी माह के मध्य तक स्कूल और कारोबार बंद रहेंगे.
हिंदी दैनिक आज का मतदाता लंदन: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कोरोना वायरस महामारी के चलते फरवरी माह के मध्य तक एक नया लॉकडाउन लगा दिया है और लोगों से आने-अपने घरों में रहने की अपील की है.
दरअसल कोरोना वायरस के नए रूप (स्ट्रेन) के चलते यह महामारी और भी खतरनाक रूप ले चुकी है तथा और अधिक संक्रामक बन गई है.
देश को सोमवार रात को संबोधित करते हुए जॉनसन ने कहा कि तेजी से फैल रहे संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में ब्रिटेन एक निर्णायक मोड़ पर है.
उन्होंने मार्च 2020 में लगाए लॉकडाउन की तरह ही संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की जिसमें स्कूल और कारोबार बंद रहेंगे.
जॉनसन ने कहा, ‘आज हमारे अस्पताल कोविड-19 के कारण पहले के मुकाबले कहीं अधिक दबाव में हैं. यह साफ है कि वायरस के इस नए रूप को काबू में करने के लिए हमें मिलकर बहुत कुछ करने की जरूरत है. इंग्लैंड में हमें राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाना होगा जो इस वायरस से मुकाबला करने के लिहाज से बहुत सख्त हो. इसका मतलब यह है कि सरकार एक बार फिर आपको घर पर रहने का निर्देश दे रही है.’
उन्होंने बताया कि अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या बढ़कर करीब 27,000 हो गई है जो अप्रैल 2020 के मुकाबले कहीं अधिक है.
नसन ने कहा, ‘हम हमारे इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम चला रहे हैं. ब्रिटेन में पूरे यूरोप के मुकाबले कहीं अधिक संख्या में लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है.’
उन्होंने कहा कि यदि सबकुछ उम्मीद के मुताबिक रहा तो फरवरी तक चार शीर्ष प्राथमिकता वाले समूह के सभी लोगों को हम टीके की पहली खुराक दे सकेंगे जिसके बाद कई पाबंदियों को हटाना संभव हो पाएगा.
उन्होंने संबोधन में लोगों से कहा कि बहुत जरूरी खरीदारी करने, नियमित व्यायाम करने या चिकित्सा कारणों से ही वे बाहर निकलें. जॉनसन ने कहा कि ब्रिटेन ‘संघर्ष के अंतिम चरण’ में प्रवेश कर रहा है.
बता दें कि सबसे पहले ब्रिटेन में पाए गए सार्स-सीओवी-2 के नए प्रकार (स्ट्रेन) से भारत में अब तक 38 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि इन सभी लोगों को चिह्नित स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में अलग क्वारंटीन कक्षों में रखा है, साथ ही उनके संपर्क में आए लोगों को भी पृथक-वास में रखा गया है.
गौर करने वाली बात है कि सबसे पहले ब्रिटेन में मिला वायरस का नया स्वरूप डेनमार्क, हॉलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इटली, स्वीडन, फ्रांस, स्पेन, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, कनाडा, जापान, लेबनान और सिंगापुर में भी पाया गया है.
इससे पहले मंत्रालय ने बताया था कि 25 नवंबर से 23 दिसंबर के बीच करीब 33,000 यात्री ब्रिटेन से भारत के विभिन्न हवाईअड्डों पर पहुंचे. इन सभी यात्रियों का पता लगाया जा रहा है और केंद्र तथा राज्य सरकार इनकी आरटी-पीसीआर जांच करा रही है.
भारत ने विषाणु के उत्परिवर्तित प्रकार (म्यूटेंट वेरिएंट) का पता लगाने तथा इसे रोकने के लिए एक अग्र-सक्रिय रणनीति तैयार की है. इसमें 23 दिसंबर की मध्यरात्रि से 31 दिसंबर तक ब्रिटेन से आनेवाली सभी उड़ानों को अस्थायी रूप से रोकने और ब्रिटेन से लौटे सभी हवाई यात्रियों की आरटी-पीसीआर जांच अनिवार्य करना शामिल है.
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का पहला कोविड-19 टीका डायलिसिस रोगी को दिया गया
ब्रिटेन में सोमवार से ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविड-19 टीके का टीकाकरण शुरू हुआ और पहला टीका ऑक्सफोर्ड में जन्मे 82 वर्षीय डायलिसिस के रोगी को दिया गया.
ब्रायन पिंकर उन पहले कुछ लोगों में शामिल हैं जिन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में यह टीका लगाया गया. इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के चरणबद्ध टीकाकरण कार्यक्रम में एक मील का पत्थर बताया जा रहा है.
ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित टीका कोरोना वायरस से बचाव के लिए ऐसा दूसरा टीका है जिसे मंजूरी मिली है. इससे पहले फाइजर-बायोएनटेक के टीके को मंजूरी दी गई थी.
ऑक्सफोर्ड में जन्मे पिंकर कई वर्षों से किडनी की बीमारी से ग्रस्त हैं तथा उनकी डायलिसिस की जाती है. उन्होंने कहा कि वायरस से सुरक्षा मिलने पर उन्हें प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है और अब वह बिना चिंता के अपना उपचार जारी रख सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘आज कोविड-19 का टीका लगवाकर मुझे प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है और बहुत गर्व का एहसास हो रहा है क्योंकि यह टीका ऑक्सफोर्ड में ही बनाया गया है.’
पिंकर के अलावा 88 वर्षीय संगीत शिक्षक ट्रेवोर कॉलेट और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में बालरोग विशेषज्ञ एंड्रयू पोलार्ड को भी टीका लगाया गया.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, ‘ऑक्सफोर्ड द्वारा टीका विकसित करना ब्रिटेन के विज्ञान की जीत है और मैं इसके विकास एवं उत्पादन में शामिल सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं जानता हूं कि आने वाले हफ्तों और महीनों में हमारे सामने चुनौतियां बनी हुई हैं लेकिन मुझे भरोसा है कि इस वर्ष हम कोरोना वायरस को हरा देंगे और फिर उठ खड़े होंगे.’
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप में निदेशक और ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ट्रायल के प्रमुख अन्वेषक प्रोफेसर पोलार्ड ने कहा, ‘मेरे लिए वह अभूतपूर्व गर्व का पल था, जब मुझे वह टीका लगा जिसे बनाने के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका की टीम ने इतनी मेहनत की ताकि इसे ब्रिटेन और दुनिया को उपलब्ध करवाया जा सके.’
एनएचएस का कहना है कि अब तक यूरोप में सबसे अधिक लोगों का टीकाकरण उसके द्वारा किया गया है.