साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से भारतीय जनता पार्टी ने जनवरी 2021 तक विज्ञापनों में कुल 5,749 करोड़ रुपये ख़र्च किए हैं।
भारत सरकार के आंकड़ो के मुताबिक, सरकार ने साल 2018 से लेकर 2021 में कुल मिलाकर 2299.9 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए हैं।
ग़ौरतलब है कि मोदी सरकार ने यह पैसे अपनी छवि सुधारने के लिए खर्च किये हैं । आप आए दिन शहरों में टंगे हुए बड़े बड़े होर्डिंग, अपने फ़ोन पर आए मैसेज से लेकर गूगल एड्स तक के सरकार के विज्ञापन देखते हैं।
आप अलग अलग सोशल मीडिया पेज पर भी सरकार के महिमामंडन की बातें सुनते हैं। उसके साथ ही आप रोज टीवी भी देखते होंगे उसमें भी आप सरकार की नीतियों पर विश्लेषण से ज्यादा उनके एड्स देखते होंगे।
ऐसा कोई दिन नहीं जाता होगा जिस दिन आप सरकार के एड्स और उनसे जुडी बातें न देखें और पढ़े। डिजिटल के जमाने में जनसंचार के माध्यम भी ज्यादा हैं और उनके द्वारा प्रचार प्रसार करना भी पहले से आसान हो गया है।
आलम यह है कि आप 2 करोड़ रोजगार बेशक न दें पर व्हाट्सअप, फेसबुक के जरिये उसमें वाह वाही जरूर लूट लेंगे।
इन सब के बीच सवाल यह उठता है कि यह भारतीय नागरिगों के टैक्स का पैसा है आखिर कोई सरकार अपने प्रचार प्रसार और अपनी छवि सुधारने में कैसे खर्च कर सकती है।
9 महीने से किसान देश की सड़कों पर अपना हक़ मांग रहे हैं, युवा रोजगार मांग रहे हैं, गरीब रोटी मांग रहे हैं। जिस देश में आम आदमी आज भी अपनी मूल भूत चीजे रोटी, कपड़ा, मकान के लिए संघर्ष करता नजर आ रहा है उस देश की सरकार अपने विज्ञापनों में करोडो खर्च कर रही है।