भारत में कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान आई आपदा के लिए मोदी सरकार द्वारा पीएम केयर्स फंड की शुरुआत की गई थी।
बीते कुछ वक्त से पीएम केयर्स फंड पर विपक्षी दलों द्वारा सवाल खड़े किए जा रहे थे। दरअसल मोदी सरकार ने पीएम केयर्स फंड को आरटीआई के दायरे के तहत नहीं रखा है।
जिसके जरिए यह जानकारी सार्वजनिक हो सके कि सरकार को पीएम केयर्स फंड में कितना पैसा और कहां से मिला है।इस मामले में पीएमओ ने बीते दिनों दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका के चलते जवाब दाखिल किया है।
जिसमें यह कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड भारत सरकार का कोष नहीं है। इसमें इक्क्ठा किया गया पैसा भारत की संचित निधि में नहीं जाता।
इस मामले में अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि पीएम केयर्स फंड में पैसे के मामले में पूरी ट्रांसपेरेंसी होनी चाहिए।
मोदी सरकार का यह कहना निंदाजनक है कि पीएम केयर्स फंड सरकारी कोष नहीं है। कोर्ट में यह कहकर मोदी सरकार ने हम सब को ही भ्रमित कर दिया है।इसके साथ ही ममता बनर्जी ने कहा कि मुख्यमंत्री राहत कोष का नियमित तौर पर ऑडिट किया जाता है। कोरोना महामारी के दौरान पीएम केयर्स फंड बनाया गया था।
लेकिन अब दिल्ली हाईकोर्ट में मोदी सरकार ने कहा है कि यह सरकारी फंड है ही नहीं। जबकि सीएसआर के जरिए बड़ी तादाद में लोगों ने पैसा दान किया था।
मोदी सरकार को यह बताना चाहिए कि आखिर पीएम केयर्स फंड में दान किया गया पैसा कहां गया?
पीएम केयर्स फंड में देश की बड़ी हस्तियों के साथ सरकारी कर्मचारियों ने भी दान दिया था।