तालिबान के क़ब्ज़े वाले अफ़ग़ानिस्तान के 110 सिख भारत आने का बेसब्री से कर रहे इंतज़ारः एसजीपीसी

 


शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने कहा कि कम से कम 110 अफ़ग़ान-सिख अब भी वहां फंसे हुए हैं और उनमें से 60 को अभी तक अपना ई-वीज़ा नहीं मिला है. जून में काबुल में एक गुरुद्वारे पर हुए हमले के बाद से अफ़ग़ानिस्तान में सिखों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. इस हमले में एक सिख सहित दो लोगों की मौत हो गई थी.नई दिल्ली: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान के कम से कम 110 सिख भारत आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और उनमें से 60 को अभी तक अपना ई-वीजा नहीं मिला है.

एसजीपीसी, इंडियन वर्ल्ड फोरम और केंद्र सरकार की निकासी योजना के तहत 26 वयस्कों और दो बच्चों सहित 28 अफगान-सिख बुधवार (तीन अगस्त) को काबुल से दिल्ली पहुंचे.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, एसजीपीसी, इंडिया वर्ल्ड फोरम और सरकार के सहयोग से लोगों को अफगानिस्तान से निकालने में मदद कर रहा है. जून में काबुल में एक गुरुद्वारे पर हुए हमले के बाद से अफगानिस्तान में सिखों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. इस हमले में दो लोगों की मौत हो गई थी.

बीते बुधवार को एसजीपीसी के अधिकारियों ने कहा था कि हाल ही में लगभग 65 से 70 लोगों को निकाला गया है और जैसे ही उनके वीजा आवेदनों को मंजूरी दी जाएगी और विमानों की व्यवस्था कर उन्हें भारत लाया जाएगा.

सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था एसजीपीसी ने कहा कि उसने अफगानिस्तान से आए इन सिखों के ठहरने की व्यवस्था की है. एसजीपीसी ने एक बयान में कहा कि कम से कम 110 अफगान-सिख अब भी वहां फंसे हुए हैं.

एसजीपीसी के समन्वयक सुरिंदर पाल सिंह समाना ने कहा, ‘28 अफगान-सिखों को बुधवार को सुरक्षित निकाल लिया गया और वे वर्तमान में तिलक नगर (दिल्ली) स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु अर्जन देव में रह रहे हैं. उन्हें जल्द ही गुरुद्वारा समिति द्वारा आवास की सुविधा प्रदान की जाएगी. हम अपनी ओर से हरसंभव सहायता प्रदान कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि विश्व पंजाबी संगठन, सोबती फाउंडेशन और अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा विस्थापितों का पुनर्वास किए जाने की संभावना है.

इंडियन वर्ल्ड फोरम ने केंद्र से उन लोगों को ई-वीजा जारी करने का आग्रह किया है, जो अब भी अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं. इसने साथ ही उन लोगों को पुनर्वास पैकेज प्रदान करने की भी मांग की है, जिन्होंने पिछले साल काबुल में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत में शरण ली थी.

फोरम के अध्यक्ष पुनीत चंडोक ने कहा, ‘अफगानिस्तान को सहायता भेजने को लेकर (केंद्र) सरकार की सराहना की जाती है, लेकिन दिल्ली में इन बेघर हिंदुओं और सिखों की भी हर तरह से मदद की जानी चाहिए.’

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से निकाले गए लोग नागरिकता के लिए दूसरे देशों में ‘प्रवास नहीं करना चाहते’ और केंद्र को उन्हें ‘दीर्घकालिक राहत’ प्रदान करनी चाहिए.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, गुरुद्वारा श्री गुरु अर्जन देव के अध्यक्ष प्रताप सिंह ने कहा कि कनाडा और अमेरिकी सरकारों द्वारा प्रदान की जाने वाली बेहतर सुविधाओं के कारण यहां पहुंचने वाले अधिकांश सिख इन देशों में जाने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘उनमें से कई पहले ही कनाडा सरकार और भुल्लर फाउंडेशन की मदद से कनाडा के लिए रवाना हो चुके हैं.’

उन्होंने कहा कि अमेरिका में शरण के लिए आवेदन करने वाले कई अफगान सिख इसकी निकासी और शरणार्थी सूची में थे.

मालूम हो कि 18 जून 2022 को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में स्थित कार्ते परवान गुरुद्वारे में आतंवादियों द्वारा किए गए कई विस्फोट में एक सिख सहित दो लोगों की मौत हो गई थी. आतंकी संगठन आईएसआईएस ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि यह पैगंबर मोहम्मद के ‘अपमान’ का प्रतिशोध था.

रिपोर्ट के अनुसार, तब से अफगान सिखों को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है. बीते 27 जुलाई को कार्ते परवान गुरुद्वारा के पास एक सिख व्यक्ति की दुकान में धमाका हुआ था.

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