पांच वर्षों में पिछड़े समुदायों से मात्र 15 प्रतिशत न्यायाधीश नियुक्त किए गए: न्याय विभाग


न्याय विभाग ने एक संसदीय समिति को बताया है कि सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के प्रस्तावों की शुरुआत कॉलेजियम द्वारा की जाती है, इसलिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाओं के बीच से उपयुक्त उम्मीदवारों के नामों की सिफ़ारिश करके सामाजिक विविधता के मुद्दे को हल करने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी न्यायपालिका की बनती है.

न्याय विभाग ने एक संसदीय समिति को बताया है कि सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के प्रस्तावों की शुरुआत कॉलेजियम द्वारा की जाती है, इसलिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाओं के बीच से उपयुक्त उम्मीदवारों के नामों की सिफ़ारिश करके सामाजिक विविधता के मुद्दे को हल करने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी

न्यायपालिका की बनती है.विभाग ने साथ ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के प्रस्तावों की शुरुआत कॉलेजियम द्वारा की जाती है, इसलिए अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अल्पसंख्यक और महिलाओं के बीच से उपयुक्त उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश करके सामाजिक विविधता के मुद्दे को हल करने की प्राथमिक जिम्मेदारी उसकी बनती है.

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