गणतंत्र दिवस राष्ट्रप्रेम का सबसे बड़ा सचेतक है -अविनाश चंद्र


                                         अविनाश चंद्र

गाजियाबाद लोहा मंडी लोहा विक्रेता मंडल के वरिष्ठ पदाधिकारी और ए एम स्टील की मैनेजिंग डायरेक्टर अविनाश चंद्र ने एक संक्षिप्त वार्ता के अंतर्गत कहा कि गणतंत्र दिवस सदैव राष्ट्रप्रेम का सचेतक रहा है हमारा राष्ट्रध्वज की गरिमा और राष्ट्रध्वज से मिलने वाली शक्ति हमें सदैव ही गौरवान्वित करती है अविनाश चंद्र ने कहा कि आज हमारा देश संविधान से चलता है और संविधान हमारी वह मौलिक अधिकारों एवं कर्तव्यों की एक ऐसी पाठशाला है जो हमें निरंतर ही एक अच्छे नागरिक बनाने एवं कार्य करने की प्रेरणा देती है हम सब लोग यह संकल्प लें जीवन पर्यंत हम अपने संविधान के नियमों आदर्शों का पालन करेंगे और अपने कार्यों के द्वारा सदैव देश का मान और सम्मान बढ़ाएंगे आपने कहा कि आज के समय में हर नागरिक यदि यह संकल्प लें उसे अपनी दिनचर्या के अंतर्गत जो भी कार्य को वाह करता है अगर वह कानूनी दायरे में हो नियम से हो संयमित हो तो सीधे तौर पर उसका सकारात्मक प्रभाव समाज पर और देश पर पड़ता है हम सभी लोगों को राष्ट्रध्वज  का सम्मान करना चाहिए उसके प्रति सदैव नतमस्तक रहना चाहिए और राष्ट्रप्रेम की भावना को सर्वोपरि रखना चाहिए अविनाश चंद्रा ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है के हर नागरिक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें अपने कर्तव्य से कभी भी पीछे ना हटे हमारा भारतीय संविधान  लोकतंत्र की सबसे पवित्र ग्रंथ है जिसका अनुसरण कर कार्यपालिका न्यायपालिका और विधायिका 140 करोड़ नागरिकों का पालन पोषण एवं निर्वहन करती हैं हम सब लोग सदैव अपने संविधान के प्रति संविधान के प्रणेता के प्रति कृतज्ञ रहेंगे और आगामी पीढ़ी को यह दिशा देने का प्रयास करेंगे कि वह राष्ट्र प्रेम की भावना को हृदय से ओतप्रोत करते हुए समाज हित में और देश हित में निरंतर कार्य करता है अंत में एक सवाल के जवाब में अविनाश चंद्र ने कहा कि संविधान में बदलाव परिवर्तन की एक ऐसी आवश्यक मजबूत प्रणाली है जिसके बगैर संविधान स्वयं में कभी भी पूर्ण नहीं होता इसलिए हमारा सरकार से अपील है कि यदि संविधान में कोई भी परिवर्तन को आवश्यक समझा जाता है तो उसका केंद्र बिंदु पूरा राष्ट्र होना चाहिए पूरा समाज होना चाहिए समाज का हित और राष्ट्र का हित ही सर्वोपरि रखते हुए संविधान में बदलाव होना चाहिए

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