भारतवर्ष में माता-पिता के बाद गुरु ही प्रथम है जो हमें मानव शिष्टाचार का ज्ञान सीखकर मानवता का पाठ सिखाते हैं भौतिक ज्ञान के बाद हम जज ,वकील, डॉक्टर ,साइंटिस्ट इंजीनियर ,पायलट ,जनरल ,मंत्री व प्रधानमंत्री तक गुरु की शिक्षा के बदौलत ही पहुंच पाते हैं आध्यात्मिक गुरु बनाना,अच्छी बात है किंतु गुरु भगवान मत बने, आध्यात्मिक गुरु एक रास्ता एक ज्ञानदीप जलने और बताने वाले गुरु हैं भागवत गीता सद्गुरु भगवान कृष्ण जी को ही मानती है सभी गुरु जन भौतिक व आध्यात्मिक गुरु मात्र है भगवान की सेवक मात्र हैं भगवान नहीं है