उद्यान मंत्री ने कहा कि उद्यान विभाग प्रदेश के सभी क्लाइमेटिक जोन के अनुसार हाइटेक नर्सरी के माध्यम से पौध उपलब्ध कराने का कार्य कर रहा है। इसके लिए अलग-अलग क्लाइमेटिक जोन के अनुकूल उत्पादित किए जाने वाले मसालों की पौध को विशेष रूप से तैयार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में लगभग 3 लाख मीट्रिक टन मसालों का उत्पादन होता है जो कि प्रदेश के कृषि भू-भाग क्षेत्र के सापेक्ष काफी कम है। जबकि उत्तर प्रदेश में मसाले के उत्पादन की संभावनाएं बहुत अधिक हैं। इन्हीं संभावनाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से ऐसे सम्मेलन और एक्सपो बहुत प्रभावी सिद्ध होंगे।
उन्होंने कहा कि भारत के मसाले पूरे विश्व में पहले से ही बहुत लोकप्रिय हैं। मसाले में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में होता है साथ ही इसमें प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले तत्व, सूजन रोधी और औषधीय गुण पर्याप्त मात्रा में होते हैं। उन्होंने कहा कि मसालों पर आयोजित इस प्रकार के सम्मेलन और एक्सपो किसानों, अनुसंधानकर्ताओं, ट्रेडर्स एक्सपोर्टर्स तथा सभी हितधारकों के बीच समन्वय और संवाद का बेहतर माध्यम उपलब्ध कराते हैं।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण बी एल मीणा तथा निदेशक वी बी द्विवेदी सहित किसान एवं निर्यातक उपस्थित रहे।